Ramcharit Manas and Panchatantra in UNESCO list: भारत के सबसे अधिक पूजे जानें वाले ग्रंथो में से एक महाकवि तुलसीदास जी की रामचरित मानस को दुनियाभर में मान्यता मिली है, जी हा! हिंदू धर्म में पूजनीय ग्रंथ रामचरित मानस को यूनेस्को ने अपने ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रीजनल रजिस्टर’ में स्थान दिया है। यूनेस्को ने भारत के महान ग्रंथ को 2024 के संस्करण में एशिया पैसिफिक की 20 धरोहरों को शामिल किया हैं।
38 देशों ने दी मान्यता
रामचरित मानस को दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर की ओर से यूनेस्को के रीजनल रजिस्टर के लिये नामांकित किया गया था। उलनाबटार में MOWACAP की बैठक में इस ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व की अनुपम कृति को प्रस्तुत करने वाले IGNCA के कला विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट रमेश चंद्र गौंड ने बताया कि, UNESCO के 38 सदस्य देशों और 40 से अधिक ऑब्जर्वर देशों ने भारत की अनुपम कृति के वैश्विक महत्व को पहचान कर इसे मान्यता प्रदान की है।
भारत से रामचरित मानस के अलावा दो अन्य कृतियों को भी स्थान
रामचरित मानस के साथ-साथ विष्णु शर्मा द्वारा रचित कृति पंचतंत्र की कहानियां और सहृदयलोक-लोकन को भी यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में शामिल किया गया है। जहां रामचरित मानस अवधी भाषा में लिखी गई है तो वही पंचतंत्र की मूल कृति और सहृदयलोक-लोकन देवभाषा संस्कृत में लिखी गई है।
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गौरतलब हो, ‘रामचरितमानस’, ‘पंचतंत्र’ और ‘सहृदयालोक-लोकन’ ऐसी कालजयी रचनाएं हैं जिन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है, देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है। इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह पाठकों और कलाकारों (Ramcharit Manas and Panchatantra in UNESCO list) पर एक अमिट छाप छोड़ी है। इन रचनाओं का यूनेस्को द्वारा सम्मान होना स्वयं ही यूनेस्को के लिए सम्मान की बात हैं। ये रचनाएं भारत के बाहर अन्य देशों के लिए एक बेहतर प्रेरणा प्रदान करेगी।