संपादक, न्यूज़NORTH
Dailyhunt buys Magzter: मशहूर भारतीय कंटेंट एग्रीगेटर कंपनी Dailyhunt पर मालिकाना हक रखने वाली कंपनी VerSe Innovation ने एक बड़ा कदम उठाया है। बेंगलुरु स्थित इस कंपनी ने लोकप्रिय डिजिटल न्यूज़स्टैंड Magzter के अधिग्रहण का ऐलान किया है। हालाँकि इस सौदे से जुड़ी राशि व अन्य कई अहम जानकारियों का खुलासा नहीं किया गया है।
लेकिन VerSe Innovation इसे अपने अब तक के सबसे महत्वपूर्ण अधिग्रहण में से एक के रूप में देख रहा है। VerSe Innovation के संस्थापकों में शामिल उमंग बेदी की ओर से इसे बड़ा कदम माना जा रहा है, जो भारत में राजस्व आदि लिहाज से नए अवसर प्रदान करेगा। बताते चलें VerSe Innovation की शुरुआत साल 2007 में हुई थी और Dailyhunt की स्थापना 2016 में की गई।
Dailyhunt + Magzter
ये अधिग्रहण कई मायनों में दिलचस्प हो जाता है। असल में न्यूयॉर्क आधारित डिजिटल न्यूज़स्टैंड Magzter के मंच पर 60 से अधिक भाषाओं में कंटेंट उपलब्ध है। इसमें मुख्य रूप से 8500 से अधिक पत्रिकाएँ व समाचार पत्र आदि शामिल हैं। बताया जाता है कि Magzter के पास लगभग 11 लाख से अधिक भुगतान करने वाले ग्राहकों यानी सब्स्क्राइबर्स का एक व्यापक आधार है।
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VerSe Innovation इस अधिग्रहण की मदद से अपने प्रीमियम ग्राहकों को भी नई सेवाओं की पेशकश करता नजर आ सकता है। प्रीमियम ग्राहक से मतलब उन ग्राहकों से होता है जो विज्ञापन-मुक्त कंटेंट के लिए एक तय फीस चुकाने को तैयार हों।
ये इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि कंटेंट एग्रीगेटर ऐप व वेब प्लेटफॉर्म Dailyhunt के पास लगभग 35 करोड़ से अधिक मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता आधार मौजूद है। ऐसे में कंपनी को उम्मीद है कि इनमें से लगभग 10 मिलियन से अधिक ग्राहक संभावित रूप से विज्ञापन मुक्त कंटेंट के लिए भुगतान का विकल्प चुनते नजर आ सकते हैं।
आपको बता दें, Magzter की शुरुआत गिरीश रामदास और विजयकुमार राधाकृष्णन ने मिलकर की थी। Magzter का वैश्विक उपयोगकर्ता आधार 8.7 करोड़ तक का बताया जाता है। इसके मंच पर द इकोनॉमिस्ट, फोर्ब्स, फॉर्च्यून, कॉनडे नास्ट, वोग, कॉस्मोपॉलिटन जैसी नामी पत्रिकाएँ उपलब्ध है।
कंपनी के सह-संस्थापक, उमंग बेदी का विश्वास है कि अंग्रेजी कंटेंट से सब्सक्रिप्शन राजस्व की संभावना प्रबल है। इसके पीछे शायद एक बड़ी वजह यह भी है कि अब तक Dailyhunt में लगभग 40% उपयोगकर्ता अंग्रेजी को अपनी प्राथमिक या दूसरी भाषा के विकल्प के रूप में चुनते हैं। कंपनी का मानना है कि भारत में स्थानीय भाषाओं और अंग्रेजी दोनों को इस्तेमाल करने वाले शिक्षित वर्ग की संख्या में तेजी से इज़ाफ़ा हो रहा है।