चीन की वजह से गधों की प्रजाति ख़त्म होने का खतरा, दवाई के नाम पर अंधाधुन हत्या

  • अफ्रीकी देशों ने चीन में गधों की खाल नहीं भेजने का फैसला लिया.
  • गधों की खाल से पारंपरिक दवा 'ईजाओ' का निर्माण किया जाता है.
Donkey species are in danger of extinction due to China

Donkey species are in danger of extinction due to China: भारत के पड़ोसी देश चीन अपनी एक पारंपरिक कथित दवाई को बनाने के लिए दुनियाभर के करीबन 10% गधों की हत्या का आरोपी बन गया है। चीन की शक्तिवर्धक, सौंदर्यवर्धक दवाई के निर्माण में गधों की खाल का उपयोग किया जाता है। ऐसे में इस दवाई के निर्माण के चलते जहां चीन में गधे विलुप्ति की कगार में पहुंच गए है वही दूसरे देशों से चीन के द्वारा गधे की मांग पूर्ति के चलते कई देशों में गधे विलुप्ति की कगार में है।

मिली जानकारी के अनुसार चीन में गधों की खाल से पारंपरिक दवा ‘ईजाओ’ का निर्माण किया जाता है, जिसका उपयोग ब्लड सर्कुलेशन, सौंदर्यवर्धक, शरीर को मजबूत बनाने, उम्र बढ़ाने के लिए उपयोग में लिया जाता है। चीन की ओर से इस दवाई के निर्माण के लिए गधों को अफ्रीका से आयात किया जाता था, पंरतु चीन की भारी मांग के चलते अफ्रीका जैसे महाद्वीप में गधों की नस्ल के खत्म होने का खतरा पैदा हो गया। अब इसके चलते 55 देशों वाले अंतरसरकारी अफ्रीकन यूनियन ने बीते महीने, 18 फरवरी को गधे की खाल के व्यापार पर 15 साल की रोक को मंजूरी दी है।

अफ्रीकी देशों में गधे का व्यापार क्षेत्र में सबसे गरीबी स्थिति के लोगों के लिए कमाई का जरिया था परंतु गधे की घटती आबादी की चिंता ने गधों को मारने और रोकने के लिए ये अहम फैसला लिया है। इसके अलावा चीन में गधों की खाल नहीं भेजने का फैसला लिया है।

चीन को पाकिस्तान का सहारा

अफ्रीकी देशों में गधे के निर्यात में बैन के चलते अब अपनी गधों की मांग पूर्ति के लिए चीन पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में निर्भर हो चुका है। ऑस्टेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशिया अनुसंधान के निर्देशक मोहम्मद ए कावेश के मुताबिक, पाकिस्तान से चीन भेजे जा रही गधे की खाल गुप्त व्यापार का हिस्सा है।

राइटर्स ने भी इस संबंध में एक रिपोर्ट में कहा था कि, 2022 में एक शिपमेंट के ज़रिए कराची से हांगकांग भेजी जा रही 10 मिट्रिक टन गधों की खाल को जब्त किया गया था, जिस शिपमेंट जहाज के जरिए गधों की खाल का परिवहन किया जा (Donkey species are in danger of extinction due to China) रहा था उसे नमक और रूमाल के परिवहन की अनुमति थी।

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईजाओ (Ejiao) को ब्लैक गोल्ड भी कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत एक से दो लाख रुपये किलो के बीच है, गुणवत्ता के आधार में कीमत कम या और ज्यादा भी हो सकती है। इन दस सालों में इसकी कीमत में 30 गुना बढ़ोतरी देखी गई है। यदि चीन में इसी प्रकार इस दवा का निर्माण होता रहता है तो ब्रिटेन की संस्था द डोंकी सैंक्चुअरी के अनुसार 2021 में जहां वैश्विक स्तर पर मारे गए गधों की संख्या बढ़कर 5.9 मिलियन हो गई थी वही इस रिपोर्ट में इस बात की भविष्यवाणी की गई है कि खाल के व्यापार के लिए 2027 में लगभग 6.8 मिलियन गधों को काटा जा सकता है। जिससे दुनिया भर में गधों की संख्या की वर्तमान स्थिति की आधी रह जायेगी।

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