ban on intersex operations of children: तमिलनाडु के बाद अब पूरे देश में बच्चों के इंटरसेक्स ऑपरेशन में रोक लग सकती है, जी हां! सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित एक याचिका को मंजूर करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र को इस सम्बंध में नोटिस जारी किया है और इसके साथ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से सहायता भी मांगी।
क्या थी याचिका?
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि बच्चों को पुरुष या महिला बनाने के लिए उनकी सहमति के बिना जन्म के समय इंटरसेक्स सर्जरी की जा रही है। इस तरह के चिकित्सीय हस्तक्षेप दंडनीय अपराध हैं और इन्हें रोकने के लिए एक कानून होना चाहिए।
मद्रास हाई कोर्ट के आदेश का जिक्र
याचिकाकर्ता के ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट के सामने मद्रास हाई कोर्ट के इसके संबंध में लिए गए फैसले का जिक्र भी क्या गया है, जिसमें हाईकोर्ट ने 2019 में जीवन-घातक स्थितियों को छोड़कर ऐसी सर्जरी पर प्रतिबंध लगाया था। आपकों बता दे, भारत में हाईकोर्ट के आदेशों के बाद तमिलनाडु शिशुओं पर सेक्स असाइनमेंट सर्जरी पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला राज्य है, तमिलनाडु सरकार ने उन शिशुओं पर सेक्स असाइनमेंट सर्जरी पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनका लिंग जन्म के समय स्पष्ट नहीं था।
बच्चों को होती है, गंभीर समस्याएं
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया भर में 1.7% ऐसे बच्चें पैदा होते है, जिनके अंदर ऐसी यौन विशेषताएं पाई जाती है, जिससे वह महिला या पुरुष किसी भी लिंग कैटेगरी में नही आ पाते है। इसके कथित उपचार के लिए इंटरसेक्स सर्जरी की जाती है, लेकिन बच्चों के लिंग और रूप-रंग को “ठीक” करने के लिए बार-बार की जाने वाली सर्जरी और उपचार अक्सर अपरिवर्तनीय होते हैं और स्थायी बांझपन और आजीवन दर्द, असंयम, यौन संवेदना की हानि और मानसिक पीड़ा का कारण बन सकते हैं। इस (ban on intersex operations of children) प्रकार की सर्जरी करने के पीछे आमतौर में कोई चिकित्सीय कारण नहीं होता फिर भी इसें किया जा रहा है, बच्चों के स्वास्थ्य के साथ गंभीर खिलबाड़ किया जा रहा है। इससे बच्चों पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।
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गौरतलब हो, संयुक्त राष्ट्र ने इंटरसेक्स सर्जरी को बिना सहमति के अंजाम देना मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है। संयुक्त राष्ट्र ने दुनियाभर की सरकारों से इंटरसेक्स बच्चों पर चिकित्सकीय रूप से अनावश्यक सर्जरी और प्रक्रियाओं पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है।
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