संपादक, न्यूज़NORTH
Supreme Court Gives 3 Days To SBI For Sharing All Electoral Bonds Details: इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को एक और बड़ा झटका दिया है। सोमवार को अदालत ने सुनवाई के दौरान कड़े शब्दों में SBI को 3 दिनों के भीतर इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित पूरी जानकारी साझा करने के निर्देश दिए हैं।
सर्वोच्च अदालत की ओर से SBI के चेयरमैन को 21 मार्च 2024 की शाम 5 बजे तक का समय दिया गया है। इस समयसीमा के भीतर बैंक को चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी अन्य शेष जानकारियाँ भी साझा करनी होगी। इस बार अदालत सख्ती दिखाते हुए SBI चेयरमैन को बकायदा एक हलफनामा भी दाखिल करने के लिए कहा है। इस हलफ़नामे में एसबीआई को यह बताना होगा कि उसने कोई जानकारी नहीं छिपाई है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, SBI इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा शेष डेटा जैसे ही चुनाव आयोग से साझा करेगा, ECI को उसे तुरंत अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर किसी भी प्रकार की कोई जानकारी छिपाई नहीं जा सकती है। सारी जानकारी को सार्वजनिक करना होगा।
Supreme Court Asks SBI To Share All Electoral Bonds Details
आज भी सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश ने SBI से सीधे कुछ गंभीर सवाल पूछे। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने बैंक से पूछा कि उसने पूरी जानकारी चुनाव आयोग को क्यों नहीं सौंपती। सीजेआई ने कहा;
“अदालत ने अपने फैसले से साफ किया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपनी होगी। इसमें किसी प्रकार के चयन का विकल्प शामिल नहीं था। सभी संभावित जानकारियों का खुलासा करना होगा। SBI सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य है”
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क्या है पूरा मामला?
हाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए, इस पर रोक लगा दी गई थी। इसके साथ ही इलेक्टोरल बॉन्ड में चंदे से जुड़ी पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा करने को भी कहा गया था। बता दें, देश में इलेक्टोरल बॉन्ड के लेन-देन की जिम्मेदारी सिर्फ SBI की ही कुछ चुनिंदा शाखाओं को दी गई थी।
ऐसे में अदालत ने SBI को यह आदेश दिया कि कुछ तय समय सीमा (12 मार्च) तक चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी सौंप देगी। इसके बाद चुनाव आयोग इस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा। इसके बाद SBI ने समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाने का अनुरोध करते हुए एक याचिका दायर की। इस याचिका को अदालत ने रद्द कर दिया। इसके बाद आनन-फ़ानन में प्रक्रिया पूरी की गई और 14 की रात को ही ECI ने वेबसाइट में 2 पीडीएफ़ अपलोड की, जिसमें इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदने वाले लोगों, राशि और राजनीतिक दलों द्वारा भुनाई गई राशि का जिक्र था।
लेकिन पूरा खेल यही हुआ। असल में SBI ने चुनाव आयोग को अधूरा डेटा सौंपा। SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक बॉन्ड नंबरों को साझा नहीं किया था। इसके बाद से ही तमाम विपक्षी दलों और कुछ पत्रकारों ने भी इस विषय को उठाया। मामले पर अदालत ने भी संज्ञान लिया और आज ये फैसला सुनाया।
क्यों ज़रूरी है यूनिक बॉन्ड नंबर?
यूनिक बॉन्ड नंबरों के ज़रिए ही यह पता चलेगा कि किस व्यक्ति ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया। अभी सिर्फ बॉन्ड ख़रीदने वाले लोगों या कंपनियों और राशि हासिल करने वाली पार्टियों की अलग-अलग जानकारी सामने आई है।