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अंजान महिला को ‘डार्लिंग’ कहने से पहले सोचे, कही हो न जाए जेल

अंजान महिला को ‘डार्लिंग’ कहने से पहले सोचे, कही हो न जाए जेल

  • किसी अज्ञात महिला को ‘डार्लिंग’ कहकर संबोधित करना धारा 35A के तहत यौन उत्पीड़न माना जा सकता है.
  • किसी अज्ञात महिला को ‘डार्लिंग’ शब्द से पुकारना स्पष्ट रूप से अपमानजनक.
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Think before calling an unknown woman darling: “डार्लिंग आँखों से आँखे चार करने दो रोको न रोको न मुझको प्यार करने दो” अब यह गाना गाना जरूर पर अपनी परिचित महिला के सामने, यादि किसी और महिला के लिए आप डार्लिंग शब्द उपयोग में लेते हो, वह महिला इस बात में आपत्ति जताती है तो फिर आप जेल जाने के लिए तैयार रहिए!

जी हा! जेल, यह हम नही कह रहें है, दरअसल कोलकात्ता हाईकोर्ट ने एक मामले के सुनवाई के दौरान टिपण्णी में कहा है, यादि कोई व्यक्ति किसी अज्ञात महिला को ‘डार्लिंग’ कहकर संबोधित करता है, तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 35A के तहत यौन उत्पीड़न माना जा सकता है।

कोर्ट ने एक पुरुष को अंजान महिला को सड़क में ‘डार्लिंग’ संबोधन करने के आरोप में आईपीसी की धारा 354 A के तहत उसकी सजा को बरक़रार रखते हुए यह टिप्पणी की है। इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी में कहा, कि किसी अज्ञात महिला को ‘डार्लिंग’ शब्द से पुकारना स्पष्ट (Think before calling an unknown woman darling) रूप से अपमानजनक है और यौन रूप से प्रेरित टिप्पणी है।

कलकत्ता हाईकोर्ट जनकराम नाम के एक आरोपी के केस की सुनवाई कर रहा था, जिसके ऊपर आरोप था कि उसने नशे की हालत में एक महिला पुलिस अधिकारी से पूछा था, “क्या डार्लिंग, चालान करने आई हो क्या?

इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखते हुए कहा किसी अज्ञात महिला को ‘डार्लिंग’ शब्द से पुकारना स्पष्ट रूप से अपमानजनक है और यौन रूप से प्रेरित टिप्पणी है।

Think before calling an unknown woman darling

गौरतलब हो, पुलिस दल को उपद्रव की सूचना मिली थी, जिसमें जनकराम को पकड़ा गया था इस दौरान वह काफ़ी अधिक नशे में था, नशे के दौरान आरोपी ने एक स्ट्रीट लाइट के नीचे महिला पुलिसकर्मी के ऊपर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद उसके ऊपर आईपीसी धारा 354 A(1)(iv) और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस पूरे प्रकरण को लेकर आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसके ऊप प्रत्येक अपराध के लिए ₹500 का जुर्माना और तीन महीने कैद की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने भी जारी रखते हुए सिर्फ उसकी सजा को एक महीने तक कर दिया है। कोर्ट ने माना कि अपराधी ने अपनी अभिव्यक्ति से परे अपराध को आगे नहीं बढ़ाया है। हाई कोर्ट में उक्त प्रकरण की सुनवाई जस्टिस सेनगुप्ता कर रहे थे।

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