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देश में गरीबों की आबादी घटी, आई 5% से नीचे, नीति आयोग के सीईओ का बयान

देश में गरीबों की आबादी घटी, आई 5% से नीचे, नीति आयोग के सीईओ का बयान

  • पिछले 10 वर्षों में भारत में कम हुई गरीबी
  • सांख्यिकी कार्यालय का नया सर्वेक्षण जारी
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Poverty Population in India is now below 5%, Niti Aayog: नीति आयोग के वर्तमान सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यन ने मुताबिक देश में गरीबी घटकर 5 फीसदी से नीचे आ गई है। असल में केंद्र सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से रविवार को भारत में परिवारों द्वारा किए जाने वाले खर्च व पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण के आँकड़े पेश किए गए हैं।

इन आँकड़ो के अनुसार, पिछले एक दशक में देश में गांव और शहर के बीच का अंतर काफी कम हुआ है। इसका मतलब ये है कि अब भारत के गाँवो की आबादी भी शहरों के तर्ज पर भी खर्च करने लगी है। सर्वेक्षण से पता चलता है कि मौजूदा कीमतों पर, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय 2011-12 में ₹1,430 के मुकाबले बढ़ा है। फिलहाल 2022-23 में यह आँकड़ा ₹3,772 तक पहुँच चुका है।

बात शहरी क्षेत्र की आबादी की करें तो यहाँ रहने वाला व्यक्ति अपने ऊपर औसतन ₹6459 प्रति माह खर्च कर रहा है। 2011-12 में हुए सर्वे के दौरान शहरी व्यक्ति के लिए यह आँकड़ा ₹2630 ही था।

आँकड़े कई दिलचस्प पहलू भी सामने रखते हैं। जैसे संबंधित अवधि के दौरान लोगों द्वारा खाने पर किया जाने वाला खर्च कम हुआ है, जबकि अन्य चीजों पर खर्च में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

असल में यह सर्वेक्षण अगस्त 2022 से जुलाई 2023 के बीच किया गया, जो सर्वेक्षण का 76वां संस्करण रहा। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम के अनुसार,

“नए सर्वेक्षण में सामने आए आँकड़ो के आधार पर यह कहा जा सकता है कि देश में गरीबी का स्तर लगभग 5% या उससे नीचे हो गया है।”

सर्वेक्षण के आँकड़े बताते हैं कि 2011-12 में देश में भोजन पर खर्च 53% रहा था, जो 2022-23 में घटकर 46.4% होने की संभावना है। एक ओर जहाँ भोजन के खर्च में कमी दर्ज की गई है, वहीं रेफ्रिजरेटर, टीवी, मेडिकल और ट्रांसपोर्टेशन जैसे सेगमेंट में खर्च में वृद्धि हुई है।

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सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-खाद्य सेगमेंट में खर्च 47.15% से बढ़कर 54% होने की संभावना है। यह आँकड़े शहरी क्षेत्रों में ही लगभग समान ट्रेंड को दर्शाते हैं। शहरी क्षेत्रों में भोजन पर खर्च में 43% के मुक़ाबले 39.2% रहने की उम्मीद है। वहीं शहरी क्षेत्रों में गैर-खाद्य व्यय 57.4% से बढ़कर 60.8% हो गया।

जैसा हमनें पहले ही बताया कि गाँव और शहरों के बीच के खर्च का अंतर भी कम हुआ है। इन दोनों के खर्च में 71% का अंतर बचा है, जबकि 2011-12 में यह लगभग 84%  था। शहरों में टॉप 5% लोग हर महीने ₹20,824 खर्च कर रहे हैं, जबकि गांवों में टॉप 5% लोग हर महीने ₹10,501 खर्च कर रहे हैं। गाँवो में रहने वाला एक व्यक्ति एक महीने में खाने पर ₹1750 खर्च कर रहा है, वहीं शहरों के लिए यही आँकड़ा ₹2530 है।

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