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प्रोफेसरों पर उत्पीड़न का फर्जी केस करने वाली महिला पर कोर्ट ने लगाया लाखों का जुर्माना

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Fake case of harassment against professors: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज स्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपने सहकर्मी वरिष्ठ प्रोफेसरों के खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला प्रोफेसर के द्वारा लगाए सभी आरोपों से सहकर्मी वरिष्ठ प्रोफेसरों को बरी कर दिया है।

दरअसल पूरा मामला इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर दीपशिखा सोनकर से जुड़ा हुआ है, असिस्टेंट प्रोफेसर ने विभाग के अपने वरिष्ठ प्रोफेसरों के ऊपर यौन उत्पीड़न सहित कई प्रकार के आरोप लगाए थे, उक्त आरोपों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुर्भावनावश फर्जी रूप से गलत और वरिष्ठ प्रोपेसरों की छवि को धूमिल करने की नियत से साथ ही कानून में मिले अधिकारों का दुरुपयोग करने की नियत से लगाया हुआ पाया है। इसके मद्देनजर कोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर दीपशिखा के ऊपर 5 लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है, यह हर्जाने की राशि उनके वेतन से काटी जायेगी।

इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उक्त पूरे प्रकरण में वरिष्ठ प्रोसेसर के खिलाफ दर्ज अपराधिक मुकदमे की चार्जशीट (Fake case of harassment against professors) के साथ पूरे अपराधिक मुकदमे को खत्म करने का भी फैसला लिया है।

दुर्भावना के तहत करवाया मामला दर्ज

प्रकरण के दौरान जॉच रिपोर्ट में कोर्ट ने पाया की प्रोफेसर दीपशिखा ने कानून में प्राप्त  अधिकारों को बदला लेने और गलत नीयत से उपयोग किया  है। दरअसल पूरे घटनाक्रम में यह बात निकलकर आई कि प्रोफेसर दीपशिखा को उनके वरिष्ठ प्रोफेसरों ने ठीक से पढ़ाने और नियमित कक्षाओं को लेने के लिए कहा था, जिससे नाराज महिला प्रोफेसर ने अपने वरिष्ठ प्रोफेसरों के खिलाफ फर्जी आरोप लगाकर मुकदमे में फंसाने की कोशिश की।

कोर्ट ने अपने फैसले के दौरान यह भी बात कही, यह पहला मामला नहीं है, शिकायतकर्ता जो एक शिक्षित महिला है, और जो कानूनी प्रकिया से पूरी तरह वाकिफ है, उनके द्वारा कानून से प्राप्त अधिकारों का गलत तरीके से लाभ उठाने की कोशिश की गई है।

क्या था मामला ?

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर दीपशिखा सोनकर ने विभाग अध्यक्ष प्रो मनमोहन कृष्ण, प्रो प्रहलाद और प्रो जावेद अख्तर के खिलाफ़ यौन उत्पीड़न सहित एसटी एससी के तमाम प्रावधानों के तहत आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाई  थी। जिसकी विश्वविधालय ने दो बार कमेठी गठित करके जांच करवाई  परंतु शिकायत फर्जी पाई गई थी।

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इसके बाद असिस्टेंट प्रोफेसर दीपशिखा सोनकर ने इस बाबत थाने में मामला दर्ज करवाया , पुलिस ने उक्त मामले में वरिष्ठ प्रोसेसर के खिलाफ़ चार्जशीट दाखिल कर दी, इसके बाद एससी एसटी कोर्ट ने उक्त मामले में संज्ञान लेते हुए गैर ज़मानती वारंट जारी किया, वरिष्ठ प्रोपेसर प्रो मनमोहन कृष्ण इस मामले को हाइकोर्ट लेकर गए, जहा कोर्ट ने पूरे प्रकरण को गंभीरता से सुनवाई सबूतों के आधार पर वरिष्ठ प्रोपेसर प्रो मनमोहन कृष्ण और उनके साथी प्रोफेसरोंको सभी मामले से बरी कर दिया गया हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस पूरे प्रकरण की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार कर रहे थे।

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