Site icon NewsNorth

कोटा में सुसाइड की घटना को रोकने के लिए अनोखी पहल, कोचिंग स्टूडेंट्स करेंगे डिनर विथ कलेक्टर

guidelines-for-coaching-centres-by-indian-government

Kota Coaching students dinner with collector: दुनिया भर में प्रतिस्पर्धा ने आज वयस्क ही नही छोटी उम्र में विद्यार्थियों और छात्रों को तनाव ग्रस्त किया है। विश्व भर से कई मामले ऐसे निकलकर आ रहे है, जिसमें शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र मानसिक तनाव और अन्य लोगों से पिछड़ने की चिंता, पढ़ाई के दबाव के चलते आत्महत्या का रास्ता अपनाने से भी गुरेज नहीं करते है।

भारत में एजुकेशन हब के नाम से मशहूर ‘राजस्थान का कोटा‘ में देश भर से छात्र इंजिनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए पहुंचते है। ऐसे में इन छात्रों के बीच समय समय में देखने को मिल जाता है, छात्र पढ़ाई की चिंता में अवसाद ग्रस्त हो जाते है और कुछ गलत कदम उठा लेते है। इन सभी परेशानियों से निजात दिलाने के लिए स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग कई प्रकार से बच्चों को परामर्श और अवसाद से निकालने के लिए सहायता मुहैया करवाते है।

नई पहल अभियान का नाम “कामयाब कोटा”

इसी क्रम में एक बेहतरीन नई पहल स्थानीय प्रशासन की और से जिला कलेक्टर ने शुरुआत की है। कोटा में स्थानीय मीडिया से निकलकर आई खबरों के अनुसार कोटा कलेक्टर डॉ रविंद्र गोस्वामी हर शुक्रवार किसी भी हॉस्टल में विद्यार्थियों के साथ डिनर कर उनके साथ संवाद करेंगे।

इस अभियान का नाम “कामयाब कोटा” रखा गया है, जिसमें स्थानीय कलेक्टर छात्रों के साथ उनके विभिन्न मुद्दों परेशानियों को लेकर डिनर टेबल में से चर्चा करते हुए बच्चों को बेहतर परामर्श प्रदान करेंगे।

जिला कलेक्टर ने इस पहल की शुरुआत कुन्हाड़ी लैंडमार्क सिटी स्थित शिव रेजिडेंसी गर्ल्स हॉस्टल में छात्राओं के साथ डिनर करके की है, जहां उन्होंने छात्राओं से दैनिक अध्ययन में आने वाली परेशानियों, असमंजस, अध्ययन के तौर तरीके, अध्ययन में एकाग्रता, टाइम मैनेजमेंट और सफलता के टिप्स को लेकर एक अनौपचारिक वातावरण में अपने अनुभव साझा किया। गर्ल्स हॉस्टल की छात्राएं भी अपने बीच जिला कलेक्टर के अनुभव को सुनकर काफ़ी उत्साहित दिखी।

Kota Coaching students dinner with collector

इस बारे में जिला कलेक्टर ने मीडिया में कहा,

“कामयाब कोटा के तहत हम छात्रों से मिलेंगे और उनसे संवाद स्थापित करेंगे। हमे लगता है इस तरह का प्रयास छात्र को अपनी परेशानी या दिल की बात करने में मददगार बनेगा उनका मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा और एक बेहतरीन माहौल प्रदान होगा। प्रशासन इसमें फीडबैक लेता रहेगा और इसके लिए एक कार्य योजना बनाई जाएगी।”

विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और तनाव को दूर करने के लिए प्रशासन निरंतर प्रयासरत है। हाल में नियमों में बदलाव करते हुए कोचिंग संस्थान में 16 वर्ष से कम आयु के छात्र को प्रवेश न देने जैसे प्रावधान निर्धारित किए गए है।

नए वर्ष में कोटा में दूसरी आत्महत्या

प्रशासन की छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और पढ़ाई के दबाव को कम करने के लिए किए जा रहे सकारात्मक प्रयासों के बीच एक दुखद खबर निकलकर आई जहा कोटा के बोरखेड़ा क्षेत्र में रहने वाली छात्र निहारिका सिंह ने घर पर ही फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली, परिचित लोगों को जैसे ही सूचना लगी, तो वह घबरा गए और मौके पर पुलिस को बुलवाया गया पुलिस और परिजन के आने के बाद छात्रा को लेकर अस्पताल पहुंचे.. लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

See Also

छात्र ने आत्महत्या से पूर्व एक कॉपी में कुछ शब्द लिखकर रखी थी, जिसमें उसने लिखा था

“मम्मी, पापा, मैं IIT JEE नहीं कर सकती. इसलिए मैंने आत्महत्या कर ली है. मैं खराब बेटी हूं. मुझे माफ करना, मम्मी पापा. मेरे पास यह आखिरी विकल्प है.”

न्यूज़North अब WhatsApp पर, सबसे तेज अपडेट्स पानें के लिए अभी जुड़ें!

कोटा में पिछले साल भी छात्रों के आत्महत्या के मामले सामने आए थे, पिछले साल दर्ज संख्या 26 छात्रों ने पढ़ाई के दबाव के चलते आत्महत्या कर ली थी, जो कि एक साल के भीतर सबसे अधिक थी।

Exit mobile version