Sony Calls Off Zee Merger Deal, Sends Termination Letter: एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से संबंधित जिस बात की संभावना व्यक्त की जा रही थी, आखिर! वह सच होती नजर आ रही है। सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, जापान आधारित सोनी ग्रुप (Sony Group) ने अपने भारतीय कारोबार को जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) के साथ मर्ज (विलय) करने संबंधी डील रद्द कर दी है।
खबर है कि सोनी ग्रुप कार्पोरेशन ने इस डील को रद्द करने के लिए आधिकारिक रूप से ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ को टर्मिनेशन लेटर भी भेज दिया है। इसका खुलासा ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट में किया गया है।
Sony Zee Deal Termination: क्या था मामला?
असल में साल 2021 में ही Zee ने जापान आधारित Sony Corp. की भारतीय इकाई Sony Pictures Networks India के साथ विलय का ऐलान किया था। दावा किया जाता है कि अगर यह विलय पूरा हो जाता, तो दोनों कंपनियों के मिलने से बनी इकाई की वैल्यूएशन लगभग $10 बिलियन (~ ₹83,000 करोड़) की होती।
देश में इसे एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की सबसे बड़ी और अहम डील में भी गिना जाता। ऐसा इसलिए क्योंकि साथ आकर ये दोनों कंपनियाँ – ‘Sony+Zee’ – भारत के भीतर 24% से ज्यादा व्यूअरशिप के साथ देश का सबसे बड़ा एंटरटेनमेंट नेटवर्क बनाती।
पिछले साल अगस्त में इस विलय को लेकर तमाम आपत्तियों को खारिज करते हुए NCLT ने डील को मंजूरी भी दे दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर Sony और Zee ने इस विलय को लेकर 2021 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, और यह तय किया था कि मर्जर के बाद बनी नई इकाई का नेतृत्व पुनीत गोयनका के हाथ में सौंपा जाएगा।
कौन हैं पुनीत गोयनका?
पुनीत गोयनका असल में Zee Group के संस्थापक सुभाष च्रंदा के बेटे और कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) हैं।
क्यों रद्द हुई Sony Zee डील?
तमाम रिपोर्ट्स मामले के जानकार सूत्रों के हवाले से यह बताती रही हैं कि दो साल पहले घोषित की इस मर्जर डील में मुख्य रूप से संयुक्त इकाई के नेतृत्व को लेकर ही पेंच फँस गया। अगर आपको याद हो तो कुछ ही समय पहले Zee के सीईओ पुनीत गोयनका को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जाँच में शामिल किए जाने के बाद से ही विवाद गहराते चले गए।
जून 2023 में पुनीत गोयनका और सुभाष चंद्रा के किसी भी कंपनी के बोर्ड में मेंबर बनने को लेकर SEBI ने प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पीछे फंड की हेरफेर के मामले में चल रही जाँच को वजह बताया गया था। हालाँकि अक्टूबर में गोयनका SAT में जाकर SEBI का आदेश रद्द करवाने में कामयाब रहे थे।
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लेकिन लेकिन नियामक जाँच आदि के चलते Sony अब नहीं चाहता कि बतौर सीईओ पुनीत को नई कंपनी की कमान सौंपी जाए। गौर करने वाली बात ये है कि सोनी का यह टर्मिनेशन लेटर डील के संबंध में तय 30 दिन की छूट की अवधि के खत्म होने के बाद आया है। ऐसे में माना यही जा रहा है कि दोनों पक्ष दिसंबर के अंत में निर्धारित समय सीमा पर किसी समझौते पर पहुंचने में विफल रहे।