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मालदीव में क्यों मौजूद हैं भारतीय सैनिक? 15 मार्च तक की डेडलाइन, जानें यहाँ!

मालदीव में क्यों मौजूद हैं भारतीय सैनिक? 15 मार्च तक की डेडलाइन, जानें यहाँ!

  • मालदीव में फिलहाल भारत के लगभग 88 सैनिक मौजूद हैं।
  • क्या हाल का विवाद ही बना सैनिकों को वापस बुलाने का कारण?
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Why Indian Army Is In Maldives?: हाल में भारत और मालदीव के बीच तनावपूर्ण होते रिश्तें के बीच एक बड़ी अपडेट सामने आ रही है। खबरों के मुताबिक, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohammed Muizzu) ने भारत से 15 मार्च तक अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा है।

इस नए प्रस्ताव के मुताबिक, मालदीव में मौजूद भारत के लगभग 88 सैन्यकर्मियों को 15 मार्च तक देश छोड़ना होगा। दिलचस्प रूप से मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू द्वारा यह फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है, जब वह कुल दिन पहले अपनी चीन की राजकीय यात्रा से वापस लौटे हैं। देश का नया राष्ट्रपति चुने जाने के बाद यह मोहम्मद मुइज्जू की पहली चीन यात्रा थी, जिस दौरान उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की।

इस बीच बहुत से लोगों के मन में यह सवाल भी आता है कि भला मालदीव में भारतीय सैनिकों की तैनाती क्यों की गई थी? आखिर इस फैसले के पीछे का कारण क्या था और वहाँ हमारे सैनिक क्या सेवाएँ दे रहे हैं।

Why Indian Army Is In Maldives?

जैसा हमनें आपको पहले ही बताया, मालदीव में फिलहाल भारत के लगभग 88 सैनिक मौजूद हैं। असल में मोहम्मद मुइजू से पहले मालदीव के राष्ट्रपति रहे इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के समय दोनों देशों के बीच रिश्तें काफी समृद्ध हुए थे।

उस वक्त भारत की ओर से मालदीव में व्यापक रूप से निवेश किया गया था और साथ ही मालदीव के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में अहम सहयोग प्रदान किया गया था। इसी दौरान भारत में अपनी ओर से ममालदीव को 2 हेलीकॉप्टर और 1 डोनियर एयरक्राफ्ट भी उपहार स्वरूप प्रदान किए थे। इन एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल मुख्य रूप से इमरजेंसी मेडिकल सेवाओं, बचाव अभियानों और समुद्र की निगरानी आदि के लिए किया जाता है।

इसी को लेकर मालदीव में पहले हेलीकॉप्टर का प्रबंधन करने के लिए 24 भारतीय सैनिकों, डोर्नियर विमान का संचालन व प्रबंधन के लिए 25 सैनिकों, दूसरे हेलीकॉप्टर के लिए 26 भारतीय सैनिकों व इंजीनियरों की तैनाती की गई। इस प्रकार फिलहाल मालदीव में कुल 88 भारतीय सैन्यकर्मियों की मौजूदगी की बात कही जाती है।

क्यों वापस बुलाने की जरूरत?

ऐसा नहीं है कि मुइज्जू सरकार के मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों से जन्में विवाद के चलते मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने का फैसला किया गया है। असल में मोहम्मद मुइजू के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही इसकी क़वायद  शुरू कर दी गई थी। हाँ! इतना जरूर है कि हाल के विवाद ने इस दिशा में तेजी लाई है।

वरना देखा जाए तो पिछले साल 17 नवंबर 2023 को मालदीव के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के तुरंत बाद ही मुइज्जू ने अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी थी। उन्होंने औपचारिक रूप से भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने तक का अनुरोध किया था।

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उस समय भी मुइज्जू ने कहा था कि मालदीव के लोगों ने उन्हें भारत से सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध करने के लिए भी “मजबूत जनादेश” दिया है। उनका कहना था;

“उम्मीद है भारत मालदीव की लोकतांत्रिक इच्छा का सम्मान करेगा।”

फिलहाल कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जाता है कि नई सरकार बनने के बाद ही मालदीव ने भारत के साथ किए गए 100 से अधिक द्विपक्षीय समझौतों की समीक्षा शुरू कर दी है।

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