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मणिपुर: एम्बुलेंस करें अलग तरह के सायरन का इस्तेमाल, सरकार का आदेश

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Manipur Govt Orders Ambulances To Use Different Siren: पिछले कुछ महीनों से लगातार बने तनावपूर्ण हालातों के बीच अब मणिपुर सरकार का एक नया फरमान सामने आया है। मणिपुर की सरकार ने एक नया आदेश जारी करते हुए, प्रदेश भर में एम्बुलेंस या किसी अन्य एजेंसियों द्वारा उपयोग किए जाने वाहनों में ऐसे सायरन का इस्तेमाल करने के लिए कहा है, जो पुलिस के वाहनों से अलग हो।

असल में फिलहाल राज्य में एंबुलेंस और अन्य एजेंसियों द्वारा ​​उपयोग किए जाने वाले वाहनों में सायरन की जो आवाज निकाली जाती है वह बिल्कुल पुलिस सायरन की तरह होती है। इसके चलते कई बार लोगों में बीच दहशत फैल जाती है, क्योंकि राज्य लगभग पिछले आठ महीनों से लगातार हिंसा से प्रभावित नजर आ रहा है।

Manipur: Ambulances Vs Police Siren

ऐसे में मौजूदा हालातों और कानून-व्यवस्था की स्थिति व चुनौतियों को देखते हुए, अब राज्य सरकार ने किसी भी प्रकार के भ्रम से बचने के लिए एम्बुलेंस या किसी संबंधित वाहनों में अलग तरह के सायरन का इस्तेमाल करने के लिए कहा है। इस आदेश की जानकारी राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दी गई।

एक अधिसूचना के तहत मणिपुर के गृह आयुक्त, टी. रंजीत सिंह ने यह जानकारी दी कि राज्य सरकार ने यह निर्देश दिए हैं कि प्रदेश भर में एम्बुलेंस या किसी अन्य एजेंसियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहनों में लगे सायरन की आवाज, पुलिस और कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहनों के सायरन के समान नहीं होनी चाहिए। सरकार की कोशिश है कि मौजूदा हालातों के बीच प्रदेश के लोगों में भ्रम और घबराहट जैसी स्थिति ना पैदा हो।

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सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, राज्य का परिवहन विभाग जल्द इस संबंध में तमाम विवरणों के साथ आवश्यक गाइडलाइन जारी करेगा। सरकार की कोशिश है कि इन कदमों के जरिए राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को काबू में लाते हुए, फिर से लोगों का विश्वास हासिल किया जा सके।

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मणिपुर के मौजूदा हालात

आपको याद ही होगा कि पिछले साल 3 मई, 2023 से ही मणिपुर में व्यापक जातीय दंगे देखनें को मिले। इसमें कई इलाकों में भयानक हिंसा से लेकर बड़ी संख्या में लोगों की मौतों से जुड़ी खबरें भी सामने आई, जो देश भर में चर्चा का विषय भी बनी।

कानून व्यवस्था को लेकर चौतरफा राज्य सरकार की आलोचना भी देखनें को मिली। ऐसे में पुलिस और अन्य अधिकारियों को सख्ती से कानून और व्यवस्था की स्थिति को बहाल करने के निर्देश दिए गए और सड़कों पर वाहनों की गहन जाँच से लेकर तमाम तरीके के कदम उठाए गए। इसी क्रम में पुलिस प्रशासन की ओर से प्रदेश भर के विभिन्न पहाड़ी और घाटी इलाकों में 700 से अधिक चौकियाँ बनाई गई।

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