संपादक, न्यूज़NORTH
Arunachal Pradesh – Three Products Gets GI Tag: अरुणाचल प्रदेश के तीन उत्पादों को प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत यानी जीआई टैग प्रदान किया गया है। जीआई टैग हासिल करने वाले इन उत्पादों में स्थानीय अदरक की एक किस्म ‘आदि केकिर’ (Adi Kekir), ‘वांचो’ (Wancho) समुदाय द्वारा बनाए जाने वाले लड़की के समान और तिब्बती निवासियों द्वारा हाथों से बनाई जाने वाली ‘दरी/कालीन’ शामिल हैं।
जाहिर है बतौर प्रदेश भी यह अरुणाचल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और शायद यही वजह है कि खुद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (Pema Khandu.) ने भी इस खबर से लोगों को अवगत करवाया। उन्होंने लिखा;
“यह साझा करते हुए बेहद ख़ुशी हो रही है कि ‘Adi Kekir’ (अदरक), ‘Handmade Carpet’ और ‘Wancho Wooden Craft’ को जीआई टैग प्रदान किया गया है।”
“यह वास्तव में हमारे राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कुशल शिल्प कौशल को मान्यता प्रदान करता है। आइए अपनी अनूठी परंपराओं का जश्न मनाएं और उन्हें बढ़ावा दें!”
इन तीन उत्पादों के लिए भी भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त करने के साथ ही अब अरुणाचल प्रदेश में जीआई टैग द्वारा मान्यता प्राप्त स्वदेशी उत्पादों की लिस्ट में 8 नाम जुड़ चुके हैं।
वहीं प्रदेश में नाबार्ड से समर्थित 18 उत्पादों में से अब तक 6 उत्पादों को जीआई टैग प्रमाणपत्र दिया जा चुका है। इससे पहले अरुणाचल में मिलने वाली याक के दूध से बना पनीर ‘याक चुर्पी’, नामसाई जिले में उत्पादित होने वाले विशेष चावल – खामती और चांगलांग जिले के तांगसा कपड़ा को जीआई टैग मिल चुका है।
Arunachal Pradesh Gets Three GI Tag
▶︎ Adi Kekir
अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय रूप से उपलब्ध होने वाली इन चीजों में से एक यानी ‘आदि केकिर’ एक प्रकार की अदरक है, जिसका उत्पादन मुख्य रूप से पूर्वी सियांग, सियांग और ऊपरी सियांग के इलाकों में किया जाता है। यह अपने खास किस्म के स्वाद और दिलचस्प आकार के लिए प्रसिद्ध है।
▶︎ Wancho Wooden Craft
प्रदेश में रहने वाले वांचू समुदाय के लोगों द्वारा लकड़ी के कुछ खास शिल्प आइटम बनाए जाते हैं, जो अपनी कलाकारी के चलते काफी लोकप्रिय रहे हैं। स्थानीय कारीगर लड़की से ही भगवान बुद्ध, जानवरों, इंसानों, योद्धाओं आदि कलाकृतियाँ बना पाते हैं।
▶︎ Handmade Carpet
अरुणाचल प्रदेश के तमाम इलाकों में रहने वाले तिब्बती शरणार्थियों द्वारा हाथों से ही कुछ कालीन/दरियाँ बनाई जाती हैं। यह ‘हस्तनिर्मित कालीन’ अपने खास डिजाइनों, रूपांकनों व बनावट के लिए मशहूर हैं।
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सामने आ रही जानकारी के अनुसार, प्रदेश में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) पहले से ही इन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की पहल का समर्थन करते हुए, वित्तीय सहायता आदि भी प्रदान करने का काम कर रहा है।