संपादक, न्यूज़NORTH
Telecom Bill 2023 Allows Govt To Take Over Or Suspend Services?: केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आज (18 दिसंबर) को लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 (Telecommunications Bill 2023) पेश कर दिया। यह विधेयक असल में लगभग 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनिय (इंडियन टेलीग्राफ एक्ट), 1885 की जगह लेगा।
सदन में हंगामे के बीच भारत के दूरसंचार मंत्री, अश्विनी वैष्णव ने द्वारा यह ‘दूरसंचार विधेयक, 2023’ पेश किया है। आपको बता दें, कुछ दिन पहले ही कैबिनेट ने इस टेलीकॉम बिल को मंजूरी दी थी। इसके तहत केंद्र सरकार की मंशा टेलीकॉम सेक्टर में कुछ बड़े सुधारों को पेश करने की है।
Telecom Bill 2023 Rules
नए विधेयक में शामिल प्रावधानों को लेकर कई अटकलें लगाई जा रहीं थीं, जिसको लेकर अब स्पष्ट रूप से कुछ चीजें सामने आने लगी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से सरकार द्वारा लाए गए इस दूरसंचार विधेयक 2023 में निम्नलिखित नियमों को जगह दी गई है;
▶︎ इस टेलीकॉम बिल 2023 के मसौदे में उपयोगकर्ता सुरक्षा को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ ओवर-द-टॉप (OTT) या इंटरनेट-आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप्स को ‘दूरसंचार’ (टेलीकॉम) के रूप में परिभाषित करने का प्रावधान शमिल है।
▶︎ इतना ही नहीं बल्कि इस विधेयक में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथिरिटी ऑफ इंडिया या TRAI) के कुछ अधिकारों को भी सीमित किया जाना है। हालाँकि इसको लेकर तमाम मोर्चों पर कुछ चिंताएँ व्यक्त की गई थीं।
विशेष: लेकिन सामने आ रही कुछ रिपोर्ट्स में सरकारी अधिकारियों के हवाले से यह सामने आया है कि ओवर-द-टॉप (ओटीटी) कंपनियों और ट्राई से जुड़े मुद्दों को कैबिनेट की मंजूरी मिलने से पहले ही सुलझा लिया गया था।
इसके तहत कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि सरकार द्वारा OTT को भी इस विधेयक के तहत रेगुलेट करने का प्रस्ताव वापस ले लिया गया है। परंतु सरकार जल्द सैटेलाइट सेवाओं के लिए नए नियम ला सकती है।
▶︎ दूरसंचार विधेयक 2023 भारत सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर किसी भी या सभी दूरसंचार सेवाओं या नेटवर्क पर नियंत्रण हासिल करने, उन्हें प्रबंधित कर सकने या निलंबित (सस्पेंड) करने तक की ताकत प्रदान करता है।
▶︎ दिलचस्प रूप से इस विधेयक के मसौदे में टेलीकॉम कंपनियों को थोड़ी राहत भी दी गई है। उदाहरण के लिए ड्राफ्ट में किसी कंपनी द्वारा अपना परमिट सरेंडर करने जैसी स्थिति में लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन आदि की फीस वापस (रिफंड) करने संबंधी कुछ नियमों को आसान बनाने का जिक्र किया गया है।
▶︎ इसके अलावा सरकार की शक्तियों के विस्तार का भी प्रस्ताव शामिल है, जिसके तहत सरकार को उपभोक्ताओं के हित और बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने या फिर दूरसंचार नेटवर्क की उपलब्धता, निरंतरता और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए एंट्री फीस, लाइसेंस फीस और जुर्माना (पेनाल्टी) आदि माफ करने का अधिकार प्राप्त हो सकेगा।
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आपको याद दिला दें इसके पहले केंद्र सरकार इसी साल अगस में डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल (Digital Data Protection Bill), 2023 भी पेश कर चुकी है। इस विधेयक के तहत भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया है।
गौर करने वाली बात ये है कि साल 2017 के देश की सर्वोच्च अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने अपने एक फैसले में कहा था कि संविधान में प्राप्त अन्य मौलिक अधिकार की तरह ‘राइट टू प्राइवेसी (निजता का अधिकार) भी देश के नागरिकों का एक मौलिक अधिकार ही है।
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