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BHU को मिली नई मशीन, अब कुछ सेकंड में खुल जाएँगे दिल के ब्लॉकेज, जानें कैसे?

Heart Blockages Treatment

Heart Blockages Treatment News: उत्तर प्रदेश ख़ास तौर में पूर्वांचल के लोगों के लिए एक खुशी की बात हैं। अब बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान, सर सुंदरलाल अस्पताल में ह्रदय रोगियों का उपचार रोटा एबलेशन (Rotablation) तकनीकी के माध्यम से किया जाएगा।

बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सालों की मेहनत के बाद हृदय रोगियों के लिए करोड़ों रुपए की मशीन अमेरिका से मंगवाई गई है, इस मशीन के आने के बाद ह्रदय रोगों के मरीजों को एंजियोप्लास्टी और एथेरेक्टोमी प्रकिया के तहत इलाज़ करवाने के लिए अतिरिक्त सुविधा प्राप्त होंगी।

Heart Blockages Treatment News:  बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में (ROTA -PRO) तकनीक

दरअसल केंद्र सरकार की मदद से बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में ₹2 करोड़ की लागत वाली मशीन को अमेरिका से मंगवाया गया है, यह मशीन नसों से कैल्शियम के ब्लॉकेज को निकालकर एंजियोप्लास्टी करने का रास्ता खोलती है।

रोटा एबलेशन तकनीक का प्रयोग भी एंजियोप्लास्टी की तरह ही होता है। फर्क यह है कि, एंजियोप्लास्टी में नस के अंदर जाने वाले वायर में बलून व स्टेंट लगा होता है। इस तकनीक में डायमंड के छर्रे वाली ड्रिल होती है जो तेज रफ्तार से घूमती है। डॉक्टर इसकी सहायता से नस में जमा कैल्शियम को हटा देते हैं। इस तरह नसों के लंबे ब्लॉक को पूरी तरह खोल दिया जाता है।

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बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में लगाई गई दो मशीनों में से दूसरी मशीन इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS) एक इमेजिंग परीक्षण है जो शरीर के अंदर से हृदय और रक्त वाहिकाओं की छवियां बनाता है।

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IVUS का उपयोग कुछ हृदय स्थितियों के निदान के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा सकता है, या इसका उपयोग कुछ प्रक्रियाओं, जैसे एंजियोप्लास्टी या एथेरेक्टॉमी के दौरान किया जा सकता है, ताकि आपके डॉक्टर को आपके हृदय और रक्त वाहिकाओं को स्पष्ट रूप से देखने में मदद मिल सके। इस मशीन के माध्यम से चिकित्सक रोगी के ब्लॉकेज का पता लगाता है।

बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर बताते है, संस्थान में आई इंट्रावास्कुलर अल्ट्रा साउंड (IVUS) रोटा एबलेशन (ROTA -PRO) तकनीक मशीनों के द्वारा रोगियों के इलाज के खर्चे में कमी आएंगी साथ ही इस प्रकार का ट्रीटमेंट बाईपास सर्जरी से अधिक सुरक्षित है। क्योंकि देखा गया है बाईपास सर्जरी के बाद मरीजों को हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती हैं।

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