इजराइल के बाद, अब ताइवान भी देगा भारत के 1 लाख लोगों को नौकरी? जानें सच!

  • ताइवान ने लगभग 1 लाख भारतीय लोगों को नौकरी देने की इच्छा व्यक्त की है।
  • यह कदम चीन के साथ भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकता है।
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Taiwan Looks To Hire 1 Lakh Indian Workers?: वैसे तो दुनिया भर के तमाम देशों में आपको बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित भारतीय कर्मचारी नजर आ जाएँगे। लेकिन हाल में इजराइल द्वारा भारतीय कामगारों को नौकरी देने में रुचि दिखाए जाने के बाद, खबरों के मुताबिक ताइवान ने भी लगभग 1 लाख भारतीय लोगों को नौकरी देने की इच्छा व्यक्त की है।

जी हाँ! ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट में मामले के जानकार सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है कि पड़ोसी देश चीन के साथ तनावपूर्ण संबंध के बीच ताइवान ने अपने यहाँ कारखानों, खेतों और अस्पतालों में काम करने के लिए लगभग 100,000 भारतीय श्रमिकों को काम पर रखनें में रुचि दिखाई है।

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मामले से परिचित वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि भारत अगले महीने की शुरुआत से हजारों श्रमिकों को ताइवान भेजनें की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

Taiwan Looks To Hire 1 Lakh Indian Workers

असल में इस कदम के जरिए भारत और ताइवान आपसी घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करते नजर आएँगे। इस संबंध में दोनों देश दिसंबर के शुरुआती हफ्ते में एक तरीके के ‘रोजगार गतिशीलता समझौते’ (एम्प्लॉयमेंट मोबिलिटी एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर भी कर सकते हैं। जाहिर है शायद यह योजना दोनों देशों के पड़ोसी यानी चीन को उतनी रास ना आए!

यह कदम ऐसे वक्त में उठाया जा रहा है जब तमाम आँकड़ो के मुताबिक ताइवान की कुल आबादी में एक बड़ा हिस्सा अधिक उम्र वाले व्यक्तियों का है, और इसलिए देश को युवा कार्यबल की आवश्यकता है। कई आँकलन यह दावा करते हैं कि साल 2025 तक ताइवान एक “सुपर-एज्ड” समाज बनने की ओर अग्रसर है। इसका साफ सा मतलब ये है कि साल 2025 तक ताइवान की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा बुजुर्गों का होगा।

लेकिन गौर करने वाली बात ये भी है कि हाल के दिनों में ताइवान और चीन के बीच तनाव तेजी से बढ़ा है और ऐसे में भारत द्वारा किया गया कोई भी ऐसा समझौता चीन के साथ भू-राजनीतिक रिश्तों को और खराब कर सकता है।

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असल में चीन लगातार ताइवान को अपने देश का ही हिस्सा बताते हुए, वैश्विक पटल पर इसके साथ किसी भी आधिकारिक आदान-प्रदान का विरोध करता रहा है, जबकि ताइवान हमेशा से खुद को एक स्व-शासित द्वीप का दर्जा देता आता है।

रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भी पुष्टि की है कि भारत-ताइवान के बीच “नौकरी समझौते” को लेकर चल रही बातचीत अब अंतिम चरण में है। वैसे ताइवान सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि तमाम उन देशों के साथ सहयोग को लेकर कोशिशें कर रहा है, जो उसे श्रमिक उपलब्ध करा सकते हैं।

कुछ दिनों पहले ही यह भी खबर आई थी कि मौजूदा इजरायल-हमास युद्ध के चलते, नौकरियों से निकाले गए फिलिस्तीनियों की जगह लेने के लिए इजरायल भारत से एक लाख कर्मचारियों की नियुक्ति करने का मन बना रहा है।

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