संपादक, न्यूज़NORTH
India Allows Direct Listing On Foreign Exchanges: भारतीय कंपनियों के लिए वैश्विक बाजार की राह आसान बनाने के इरादे से अब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। असल में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत कुछ श्रेणियों की सार्वजनिक कंपनियों को सीधे विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हो सकने की मंजूरी दे दी गई है।
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अनुसार, इसके लिए कंपनी अधिनियम (एक्ट), 2020 में नया संशोधन किया गया है, जो 30 अक्टूबर से लागू हो गया है। कंपनी अधिनियम की धाराओं में किया गया यह नया संशोधन सितंबर 2020 में प्रस्तावित किया गया था।
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बता दें यह सहूलियत प्रदान करने का ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कुछ महीनें पहले ही किया गया था। इस संशोधन में कहा गया है;
“निर्धारित ‘श्रेणी’ की सार्वजनिक कंपनियाँ विदेशी या अन्य न्यायिक क्षेत्रों में अनुमति प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होने के मकसद से विशेष श्रेणी की प्रतिभूतियों जारी कर सकती हैं।”
India Allows Direct Listing On Foreign Exchanges
आपको बता दें, केंद्र सरकार यह स्पष्ट करेगी कि किस ‘श्रेणी’ की सार्वजनिक कंपनियों को विदेशी एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होने की अनुमति दी जाएगी। प्रावधान में यह भी कहा गया है कि;
“केंद्र सरकार, अधिसूचना द्वारा, इस अध्याय, अध्याय IV, धारा 89, धारा 90 या धारा 127 के किसी भी प्रावधान से उप-धारा (3) में निर्दिष्ट श्रेणी या सार्वजनिक कंपनियों की किसी भी श्रेणी को छूट दे सकती है। ऐसी प्रत्येक अधिसूचना की एक प्रति, जारी होने के बाद जल्द से जल्द संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखी जाएगी।”
पहले यह माना जा रहा था कि सरकार विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टिंग की अनुमति देने से पहले गिफ्ट सिटी में स्थित इंटरनेशनल फाइनेंस सर्विस सेंटर (IFSC) में सीधी लिस्टिंग की अनुमति देगी, और इसके बाद ही विदेशी एक्सचेंजों को लेकर सुविधा का विस्तार किया जाएगा।
जाहिर है विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में सीधी लिस्टिंग की सहूलियत मिलने से भारतीय कंपनियों के लिए बड़ी मात्रा में पूँजी हासिल करने के विकल्प बढ़ेंगे। कंपनियाँ विभिन्न मुद्राओं में पूँजी आकर्षित कर सकेंगी।
इतना ही नहीं बल्कि इस कदम के चलते कॉर्पोरेट गवर्नेंस के लिहाज से भी सुधार देखने को मिलेगा। साथ ही डॉलर-मूल्य वाले ट्रेडों के चलते निवेशकों को हेजिंग और करेंसी एक्सचेंज लागत से भी राहत मिल सकेगी।
क्या है मौजूदा नियम?
मौजूदा तरीकों की बात करें तो, फिलहाल भारतीय कंपनियों को विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने के लिए ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (जीडीआर) हासिल करना होता है, लेकिन नए बदलावों के बाद जीडीआर की आवश्यकता खत्म हो जाएगी।