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Gaganyaan Mission: पहली टेस्ट फ्लाइट लॉन्च, क्रू एस्केप मॉड्यूल का परीक्षण रहा सफल

Gaganyaan Mission: पहली टेस्ट फ्लाइट लॉन्च, क्रू एस्केप मॉड्यूल का परीक्षण रहा सफल

  • आज 10 बजे किए गए प्रयास में क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम ले जाने वाला TV-D1 श्रीहरिकोटा के पहले लॉन्च पैड से सफलतापूर्वक उड़ान भर पाया।
  • इसके पहले तकनीकी खराबी की वजह से रॉकेट के इंजन में आग नहीं जल पाने के चलते मिशन को थोड़ी देर के लिए टालना पड़ा था।
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Gaganyaan Mission Test Flight LIVE Update: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा आज (21 अक्टूबर) आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में बने सतीश धवन स्पेस सेंटर से गगनयान मिशन का पहला टेस्ट व्हीकल डेमोनस्ट्रेशन  (TV-D1) फ्लाइट परीक्षण किया जाना था। गगनयान मिशन के तहत इस पहली टेस्ट उड़ान के लिए सुबह 8 बजे का समय तय किया गया था। लेकिन लॉन्च से कुछ सेकंड पहले ही इसे टालते हुए, लगभग 30 मिनट के लिए आगे बढ़ा दिया गया था।

लेकिन बाद में कुछ खामियों के चलते, इसरो द्वारा इस समय को 10 बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया। और 10 बजे किए गए प्रयास में क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम ले जाने वाला TV-D1 श्रीहरिकोटा के पहले लॉन्च पैड से सफलतापूर्वक उड़ान भर पाया।

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इसके लगभग 7-8 मिनट बाद क्रू मॉड्यूल सफलतापूर्वक लॉन्च वाहन से अलग हो गया। अगले चरण के तहत पैराशूट खोले गए और कुछ ही समय में क्रू मॉड्यूल श्रीहरिकोटा तट से लगभग 10 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में सफलतापूर्वक नीचे गिरा।

क्यों रोकी गई थी पहली टेस्ट फ्लाइट?

शुरुआत में 8 बजे का समय तय किया गया था, लेकिन इसरो की ओर से गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट के प्रयास को कुछ देर के लिए होल्ड करना पड़ा। जानकारी के मुताबिक, तकनीकी खराबी की वजह से रॉकेट के इंजन में आग नहीं जल सकी, जिसकी वजह से फ्लाइट की लॉन्चिंग को थोड़ी देर के लिए टाला गया था। ख़बरों की मानें तो खराब मौसम को भी लॉन्चिंग टालने के पीछे की वजह बताया जा रहा था।

Gaganyaan Mission Test Flight: होंगे कुल 6 परीक्षण

कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक की गई। बैठक में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन – गगनयान को अगले साल के आखिर या 2025 की शुरुआत तक अंतिम रूप देने का फैसला किया गया।

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बता दें आगामी साल 2024 में गगनयान मिशन के तहत मानव रहित फ़्लाइट की टेस्टिंग की ज़ाएँगी। इस दौरान भारत एक व्योममित्र नामक रोबोट को भी अंतरिक्ष पर भेजा जाएगा। मिशन के फाइनल लॉन्च से पहले कुल 6 परीक्षण किए जाने हैं।

आज के परीक्षण का क्या था मकसद?

TV -D1 टेस्ट फ़्लाइट के साथ इसरो का मुख्य मकसद क्रू एस्केप सिस्टम की क्षमता और दक्षता के बारे में पता लगाने का है। इसके जरिए फ़ाइनल मिशन के दौरान आपात परिस्थितियों में अभियान को बीच में रद्द करते हुए, अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बचाने की रणनीति को पुख्ता बनाने में मदद मिलेगी।

इस टेस्ट फ्लाइट के लॉन्च होने के बाद रॉकेट क्रू मॉड्यूल को लेकर लगभग 11 किमी की ऊंचाई पर जाएगा और फिर रॉकेट से क्रू एस्केप सिस्टम कर दिया जाएगा। इसके 90 सेकेंड बाद क्रू मॉड्यूल भी क्रू एस्केप सिस्टम से अलग हो जाएगा और इसमें लगे पैराशूट खुल जाएँगे। यह श्रीहरिकोटा के तट से 10 किमी दूर लैंड होगा, जहां संबंधित टीम क्रू मॉड्यूल को वापस लाने का काम करेगी।

भारत का महत्वकांक्षी गगनयान मिशन

भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होने के चलते ‘गगनयान’ मिशन खुद में बेहद खास बन जाता है। ऐसा पहली बार होगा जब भारत अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों (एस्ट्रोनोट्स) को भेजेगा। बता दें, मिशन के तहत ये अंतरिक्ष यात्री धरती से लगभग 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में 3 दिनों का समय बिताएँगे।

गगनयान मिशन के तहत इसरो का लक्ष्य फिलहाल पृथ्वी की निचली कक्षा तक इंसानों को पहुंचाने का है। इसके लिए भारतीय एयरफोर्स से ही चार अंतरिक्ष यात्रियों (एस्ट्रोनोट्स) को चुना गया है।

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