संपादक, न्यूज़NORTH
RIP MS Swaminathan – Father of India’s Green Revolution: भारत में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले महान कृषि वैज्ञानिक एम. एस. स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में गुरुवार (28 सितंबर) को निधन हो गया है। देश भर में उन्हें ‘फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन’ या ‘हरित क्रांति के पिता’ के रूप में पहचाना जाता है।
सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, उन्होंने चेन्नई में आज सुबह लगभग 11.20 बजे अंतिम साँसे लीं। उनका निधन लंबे समय से चली आ रही बीमार के चलते हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश के दिग्गज वैज्ञानिक काफी समय से उम्र संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे। इस दुखद मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करते हुए कहा;
“देश के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय के दौरान, उनके द्वारा कृषि क्षेत्र में दिए गए अभूतपूर्व योगदान के चलते, लाखों लोगों का जीवन बदल सका और हमारे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकी।”
Deeply saddened by the demise of Dr. MS Swaminathan Ji. At a very critical period in our nation’s history, his groundbreaking work in agriculture transformed the lives of millions and ensured food security for our nation. pic.twitter.com/BjLxHtAjC4
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2023
एम. एस. स्वामीनाथन (MS Swaminathan) के बारे में
एम. एस. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में हुआ था। वह पेशे से कृषि वैज्ञानिक व पादप आनुवंशिकी-विद् थे। स्वामीनाथन ने भारत में गेहूंँ और चावल की उपज को क्रांतिकारी रूप से बढ़ावा देने में अहम रोल अदा किया था, जिसके चलते हरित क्रांति संभव हो सकी थी।
MS Swaminathan: हरित क्रांति में उनकी भूमिका
इतिहास पर नज़र डालें तो 1960 के दशक में दौरान भारत व्यापक रूप से अनाज की कमी संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहा था। ऐसे समय में एम एस स्वामीनाथन ने जाने मानें अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग व अन्य के साथ मिलकर, मैक्सिको आधारित बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करते हुए, उच्च उत्पादकता किस्म (HYV) वाले बीज तैयार किए।
इन नए और अधिक उपज वाली किस्मों के कारण पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के किसानों को पैदावार बढ़ाने में काफी मदद मिली थी। और देखते ही देखते कुछ ही सालों में भारत अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बन सका।
एम. एस. स्वामीनाथन की तमाम उपलब्धियाँ
1967 में ‘पद्म श्री’, 1972 में ‘पद्म भूषण’ और 1989 में ‘पद्म विभूषण’ से भी सम्मानित किए जा चुके स्वामीनाथन ने अपने जीवन में कई उपलब्धियाँ दर्ज कीं। लेकिन सबसे अधिक ख्याति उन्हें देश की ‘हरित क्रांति’ में दिए गए योगदान के चलते मिली। 1987 में वह खाद्य पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति बने थे।
मशहूर वैज्ञानिक एम. एस. स्वामीनाथन 1961 से 1972 के बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक भी रहे। साथ ही 1972-79 के दौरान उन्होंने आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव की भी भूमिका निभाई। साथ ही 1979-80 के लिए उन्हें कृषि मंत्रालय में बतौर प्रधान सचिव जिम्मेदारियाँ निभाने का भी मौका मिला था।