संपादक, न्यूज़NORTH
Aditya L1 Solar Mission LIVE Update: हाल में ही चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन के तहत चाँद पर ऐतिहासिक लैंडिंग दर्ज करने के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने पहले सूर्य (सोलर) मिशन ‘आदित्य-एल1’ (Aditya-L1) को सफलतापूर्वक लॉन्च करते हुए अपने कीर्तिमानों की किताब में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।
जी हाँ! पहले से तय योजना के अनुसार, आज यानी 2 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस स्टेशन से आदित्य-एल1 को लॉन्च कर दिया गया। अपने इस पहले सोलर मिशन के लिए इसरो ने लॉन्च व्हीकल के रूप में PSLV-C57 का इस्तेमाल किया।
हाल में चाँद की सतह को छूने में कामयाब होने वाला इसरो अब ‘आदित्य-एल1’ की सफल उड़ान के साथ, भारत के इस पहले सौर मिशन के तहत सूर्य व इससे संबंधित घटनाओं का व्यापक अध्ययन कर सकेगा।
सूर्य संबंधी अहम अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम देने वाले देशों की लिस्ट में अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और चीन के बाद अब भारत का नाम भी शामिल हो गया है।
साथ भेजे गए कुल 7 पेलोड
Aditya L1 मिशन के तहत PSLV-C57 लॉन्च व्हीकल की मदद से कुल 7 पेलोड अंतरिक्ष भेजे गए हैं। इनकी मदद से सूर्य के फोटोस्फीयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी परत (कोरोना) के अध्ययन में मदद मिलेगी।
Aditya L1 LIVE Update: लॉन्च के बाद के चरण
आइए समझते हैं कि आखिर लॉन्च के बाद कैसे, किन-किन चरणों से होते हुए आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुँचेगा;
सबसे पहले तो आपको बता दें, हिंदू पौराणिक कथाओं में सूर्य देवता के लिए इस्तेमाल होने वाले नाम पर ही इस मिशन का नाम – ‘आदित्य-एल1’ रखा गया है।
▶︎ पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल या PSLV C57 द्वारा अंतरिक्ष की ओर भेजा गया आदित्य-एल1 सबसे पहले सबसे पहले, पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) तक पहुँचेगा। देखा जाए तो, लगभग 16 दिनों तक आदित्य-एल1 पृथ्वी के चारों ओर ही चक्कर लगाएगा। इस दौरान यह लगभग 5 ऑर्बिट मैन्यूवर करेगा ताकि उचित स्पीड हासिल की जा सके।
▶︎ इसके बाद आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान के साथ पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (SOI) से बाहर निकल जाएगा।
▶︎ इससे बाहर निकलते हुए, मिशन का अगला यानी क्रूज़ चरण या फिर आदित्य-एल1 का ट्रांस-लैरेंजियन 1 इंसर्शन शुरू हो जाएगा और इसके तहत अंतरिक्ष यान आदित्य-L1 को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर पृथ्वी-सूर्य सिस्टम की एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा, लाग्रेंज प्वाइंट 1 (या L1) पर स्थापित किया जाएगा।
इस 15 लाख किलोमीटर की दूरी को ऐसे भी समझा जा सकता है कि पृथ्वी से चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3,84,000 किमी (3.8 लाख किमी) है।
▶︎ बता दें लॉन्च से लेकर प्वाइंट L1 में स्थापित होने तक की कुल यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने (लगभग 127 दिनों) का समय लगेगा। इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद आदित्य-एल1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा।
क्या है Aditya L1 का गंतव्य – प्वाइंट L1?
असल में पृथ्वी और सूर्य के बीच लगभग 5 लाग्रेंज बिंदु – L1, L2, L3, L4 और L5 हैं। इस मिशन के लिए L1 बिंदु को इसलिए चुना गया है क्योंकि इसके हेलो ऑर्बिट में रखे गए सैटेलाइट पर सूर्य या किसी अन्य कारण के चलते किसी भी तरह का अवरोध या ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
लैरेंज प्वाइंट्स को किन्ही दो अंतरिक्षीय ग्रहों आदि के बीच ऐसे प्वाइंट के रूप में समझा जा सकता है, जहाँ रखी किसी वस्तु या सैटेलाइट पर दोनों ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण का भी बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता।
जाहिर है ऐसे में सैटेलाइट बिना किसी नुकसान या अवरोध के अपने तय मिशन को पूरा करते हुए, निरंतर सूर्य की मॉनिटरिंग का काम करता रहेगा और इसरो को सभी सौर गतिविधियों की रियल टाइम जानकारी मिलती रहेगी।
मिशन के लक्ष्य
आदित्य-एल1 व साथ भेजे गए सभी पेलोड के जरिए ‘विद्युत चुम्बकीय’, ‘कण’ और ‘चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करते हुए सूर्य व इससे संबंधित गतिविधियों जैसे कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटी व उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम पर इनके प्रभाव, क्षेत्रों के प्रसार आदि का अध्ययन किया जाएगा ।
मिशन के तहत इसरो को सौर गतिविधियों से संबंधित रियल टाइम डेटा मिलेगा, जिसका इस्तेमाल करते हुए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी सटीक रूप से अंतरिक्ष मौसम पर सूर्य के मौजूदा प्रभाव, हालातों व पूर्वानुमान आदि का आँकलन कर सकेगी।