संपादक, न्यूज़NORTH
New Guidelines For Social Media Influencers: मौजूदा समय में भारत एक विशाल इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार के साथ तमाम सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एक प्रमुख बाजार बन चुका है। और इंस्टाग्राम (Instagram), फेसबुक (Facebook) और यूट्यूब (YouTube) जैसे प्लेटफॉर्म की बढ़ती लोकप्रियता के साथ ही साथ, ये तमाम प्लेटफॉर्म व्यापक रूप से क्रीएटर्स की कमाई का भी जरिया बन गए हैं।
इन्हीं लोकप्रिय क्रीएटर्स को इंटरनेट की भाषा में हम ‘इंफ्लुएंसर्स’ (Influencers) कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग एक बड़े इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार को प्रभावित कर सकनें की क्षमता रखते हैं। ऐसे में जाहिर है जिनकी जिम्मेदारियाँ भी उतनी ही बढ़ जाती हैं।
शायद यही वजह है, अब सरकार ने इन ‘इंफ्लुएंसर्स’ (Influencers) के द्वारा सोशल मीडिया पर किए जाने वाले ब्रांड प्रमोशन, विज्ञापनों या स्पॉन्सर्ड कॉन्टेंट के प्रभाव को गंभीरता से लेते हुए, इस क्षेत्र को रेग्युलेट करने की कोशिशें शुरू की हैं।
असल में होता ये है कि कई बार सोशल मीडिया पर ये ‘इंफ्लुएंसर्स’ (Influencers) कुछ प्रोडक्ट्स या सेवाओं का प्रचार तो करते हैं, लेकिन ये स्पष्ट नहीं करते कि किसी प्रोडक्ट या सर्विस के सिर्फ अच्छे पहलुओं को सामने रखने के लिए उन्हें संबंधित ब्रांड की ओर से पैसे दिए गए हैं।
इसके चलते होता ये है कि बड़ी संख्या में फ़ॉलोवर्स उसकी इस बात को प्रामाणिक (ऑथेंटिक) मानते हुए, उस चीज को सही और सुरक्षित समझ बैठते हैं और गुमराह हो जाते हैं।
जाहिर है सोशल मीडिया विज्ञापन का बाजार छोटा नहीं है और यह दिन प्रतिदिन तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। ऐसे में यह संभावना बहुत अधिक हो जाती है कि ब्रांड्स मोटे पैसे देकर इंफ्लुएंसर्स (Influencers) के जरिए अपनी सर्विस व प्रोडक्ट को लेकर भारी संख्या में इंटरनेट यूजर्स को गुमराह करने के प्रयास करें।
New Guidelines For Social Media Influencers:
इसी को ध्यान में रखते हुए अब उपभोगता मामलों (कंज्यूमर अफेयर्स) के मंत्रालय ने 20 जनवरी, 2023 से कुछ नए नियम या कहें तो नई गाइडलाइंस लागू की है।
इन गाइडलाइंस के तहत सोशल मीडिया पर किसी भी तरह के विज्ञापनों (ऐड्स) या प्रमोशन के दौरान गलत जानकारी देना या जानबूझकर कोई जानकारी छिपाना, इन दोनों को ही दंडनीय अपराध माना जाएगा।
साथ ही कोई भी विज्ञापन किसी प्रोडक्ट के क्लेम को लेकर दावा करता हुआ नहीं होना चाहिए और लोगों पर उसे ख़रीदने का कोई दबाव भी नहीं बनाना होगा।
इतना ही नहीं बल्कि सभी फॉर्म और फॉर्मेट में गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर पूरा प्रतिबंध लगाया गया है। और इंफ्लुएंसर्स या सेलेब्रिटीज को किसी प्रोडक्ट या सर्विस को प्रोमोट करने से पहले डिस्क्लेमर भी देना होगा, यहाँ तक कि लाइवस्ट्रीमिंग के दौरान भी।
इंफ्लुएंसर्स (Influencers) को इन इन मामलों में देना होगा डिस्क्लेमर
- अगर उन्होंने ब्रांड प्रमोशन के लिए पैसे लिए हों।
- ब्रांड की ओर से प्रमोशन के लिए कोई फ्री प्रोडक्ट या गिफ्ट आदि दिया गया हो।
- वह ब्रांड प्रमोशन का कवरेज कर रहे हों या फिर मीडिया पार्टनर हों।
- अगर उस कंपनी या प्रोडक्ट में उनकी हिस्सेदारी हो।
कुछ ऐसा होना चाहिए डिस्क्लेमर का स्वरूप
- यह ऑडियो और वीडियो दोनों फॉर्म में होना चाहिए।
- लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान लगातार देना होगा
- भाषा (जिस भाषा में कंटेंट हो) आसान व स्पष्ट होनी चाहिए
- कंटेंट पर स्पष्ट रूप से नजर आने वाला Advertisement, Paid, Sponsored, Paid Promotion जैसा लेबल होना चाहिए।
नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में ₹10 लाख तक का और दूसरी बार में ₹50 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
बताते चलें कि ये नियाम उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुरूप हैं, जो असल में देश के भीतर अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के मकसद के साथ लाया गया था।