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भारत में घरेलू पेमेंट नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए सरकार करेगी ₹2,600 करोड़ का निवेश

भारत में घरेलू पेमेंट नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए सरकार करेगी ₹2,600 करोड़ का निवेश

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India to spend Rs 2,600 cr to promote RuPay Card & UPI: इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत में UPI पेमेंट की शुरुआत के बाद से ही डिजिटल भुगतान को अपनाने की दर में भारी इज़ाफा हुआ है। और ऐसा लगता है कि भारत सरकार इस रफ्तार को बढ़ाने के मकसद के साथ इन घरेलू भुगतान नेटवर्क को लोकप्रिय बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहती है।

असल में हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने RuPay डेबिट कार्ड और कम मूल्य वाले BHIM-UPI लेनदेन को बढ़ाना देने के लिए ₹2,600 करोड़ (~ $320 मिलियन) की योजना को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।

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इस योजना के तहत, बैंकों को चालू वित्त वर्ष 2022-2023 के दौरान पॉइंट-ऑफ-सेल (PoS) और ई-कॉमर्स लेनदेन आदि में RuPay और UPI के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देने की घोषणा की गयी है।

यह कहा जा सकता है कि सरकार का इरादा मार्च 2023 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष की अवधि के दौरान ही इस राशि को खर्च करने का है।

इस योजना के संबंध में दिए गए एक बयान में, सरकार ने बताया कि इस योजना के साथ देश भर में घरेलू पेमेंट नेटवर्क को मजबूत बनाने और विश्वसनीय डिजिटल भुगतान ईकोसिस्टम के निर्माण में मदद मिल सकेगी।

सरकार की मानें तो “सबका साथ, सबका विकास” के लक्ष्य के अनुरूप ही UPI Lite और UPI 123PAY जैसे किफायती और उपयोगकर्ता के लिहाज से अनुकूल डिजिटल पेमेंट समाधानों को भी आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा।

दिलचस्प रूप से सरकार के इस नए कदम को बैंकों की उन चिंताओं को दूर करने के एक प्रयास के रूप में भी देखा जा सकता है, जिनके चलते लगभग 6 साल पुराने हो चुके UPI नेटवर्क की वित्तीय विकासक्षमता पर सवाल उठाए जाते रहे हैं।

इस सवाल के उठने का एक कारण यह भी है कि UPI ट्रांजैक्शन हमेशा शून्य मर्चेंट डिस्काउंट रेट पर होता है, जो लेन-देन के दौरान लगने वाली एक तरीके की छोटी फीस होती है, और यह बैंकों और कार्ड कंपनियों के लिए आय के मुख्य स्रोतों में से एक होता है।

इसलिए कई बार डिजिटल पेमेंट प्रणालियों में संबंधित कई जानकार शून्य मर्चेंट डिस्काउंट रेट पर संचालित होने वाले UPI ट्रांजैक्शनों के संभावित प्रतिकूल प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त करते रहे हैं।

India to spend Rs 2,600 cr to promote RuPay Card & UPI

तमाम बैंकों के गठबंधन द्वारा बनाए गए UPI भुगतान नेटवर्क का दबदबा ऑनलाइन लेनदेन के लिहाज से आज भारतीय बाजारों में साफ दिखाई देता है। जाहिर है ऐसा इसलिए भी है क्योंकि UPI ने ऑनलाइन लेनदेन की प्रक्रिया में मध्यस्थ पर निर्भरता को हटाते हुए सीधे बैंक-टू-बैंक ट्रांजैक्शन को आसान बना दिया है।

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वहीं बात करें RuPay की तो यह भारत का स्वदेशी कार्ड नेटवर्क है। UPI की तरह ही इसका संचालन भी NPCI करता है। लेकिन इसका सीधा मुक़ाबला VISA, Mastercard और American Express जैसे दिग्गज प्रतिद्वंदियो से है।

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लेकिन दक्षिण एशियाई बाजार में RuPay का विस्तार करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जैसे कि RuPay ही एकमात्र ऐसा पेमेंट नेटवर्क है जिसके क्रेडिट कार्ड को UPI से लिंक किया जा सकता है।

लेकिन इसके बाद भी जहाँ एक ओर RuPay ने डेबिट कार्ड बाजार में अच्छी हिस्सेदारी हासिल कर ली है, वहीं ये क्रेडिट कार्ड को विस्तार करने में संघर्ष कर रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चालू वर्ष में लागू की जा रही इस योजना को 2022-23 के आगामी केंद्रीय बजट की घोषणा के अनुरूप तैयार किया बताया जा रहा है, जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश में डिजिटल भुगतानों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता जारी रखने की सरकार की मंशा को दर्शा सकती हैं।

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