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100 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियां सरकार की अनुमति के बिना नहीं कर सकती हैं छंटनी: केंद्रीय मंत्री

100 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियां सरकार की अनुमति के बिना नहीं कर सकती हैं छंटनी: केंद्रीय मंत्री

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Labour Minister on Layoff: वर्तमान समय में भारत समेत दुनिया भर की कई बड़ी कंपनियाँ बड़े पैमानें पर छंटनी किए जा रहीं हैं। भारत में भी आईटी सेक्टर से लेकर, एड-टेक, फूड डिलीवरी व अन्य तमाम क्षेत्रों से जुड़ी कई कंपनियों ने भी हाल ही में बड़ी संख्या में छंटनी की है और इस लिस्ट में लगातार नई कंपनियों से नाम जुड़ रहे हैं।

ऐसे में अब भारत सरकार की ओर से इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, कंपनियों को सख्त हिदायत दी गई है। असल में राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्री, भूपेंद्र यादव ने बताया कि अगर कंपनियों द्वारा की जा रही इन छंटनियों में इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट, 1947 (Industrial Disputes Act, 1947) के नियमों का उल्लंघन करते पाया गया तो इन्हें अवैध माना जाएगा।

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असल में राज्यसभा में सरकार से यह सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार देश भर में आईटी, फूड-टेक, सोशल मीडिया और एडटेक जैसी कंपनियों द्वारा की जा रही व्यापक छंटनियों का संज्ञान ले रही है?

Labour Minister on Layoff

इसी सवाल का जवाब देते हुए, केंद्रीय मंत्री, भूपेंद्र यादव ने बताया कि छंटनियां (Layoff) की प्रक्रिया असल में इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट, 1947 के अंतर्गत आती है, जिसमें कंपनियों के लिए छंटनियों के संबंध में कई प्रावधान व नियम तय किए गए हैं।

इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि,

“इस एक्ट में किए गए प्रावधानों के तहत, 100 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को बिजनेस बंद करने या छंटनी (Layoffs) करने से पहले संबंधित सरकार से अनुमति लेनी होती है।”

इतना ही नहीं बल्कि श्रम मंत्री ने ये भी कहा कि अगर यह छंटनियाँ मौजूदा प्रभावी एक्ट के नियमों की अनदेखी करते हुए की गई हैं, तो प्रभावित कर्मचारी अपनी कंपनी से उचित मुआवजे की मांग कर सकते हैं।

India Government Layoff Law Labour Minister

इतना ही नहीं बल्कि एक्ट के नियमों के ख़िलाफ जाकर की गई छंटनियों से प्रभावित कर्मचारी द्वारा फिर से उसी कंपनी में नौकरी पाने का दावा कर सकने जैसे प्रावधान भी हैं।

दिलचस्प रूप से केंद्रीय श्रम मंत्री ने ये भी बताया कि आईटी, सोशल मीडिया, एड-टेक और संबंधित क्षेत्रों से जुड़ी बहुराष्ट्रीय (मल्टी-नेशनल) और भारतीय कंपनियों के मामलों में अधिकार क्षेत्र संबंधित राज्य सरकारों के पास होता है, जिस राज्य में वह कंपनी स्थापित होती है। केंद्र सरकार इन संबंधित कंपनियों में हुई छंटनी आदि पर कोई डेटा नहीं जमा करती है।

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श्रम मंत्री ने मुताबिक, केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में, अच्छे औद्योगिक संबंध बनाए रखने और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी सेंट्रल इंडस्ट्रियल रिलेशन मशीनरी (CIRM) के पास होती है, जो छंटनी आदि से जुड़े मसले भी देखती है।

इसलिए इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट में बताए गए संबंधित अधिकार क्षेत्र के आधार पर, केंद्र और राज्य सरकारें कर्मचारियों के मुद्दों को हल करने और अधिनियम के प्रावधान के अनुसार उनके हितों की रक्षा करने के लिए कार्रवाई कर सकती हैं।

layoff 2022

असल में ये मुद्दा इसलिए अहम है क्योंकि बीते कुछ महीनों में वैश्विक स्तर (भारत भी शामिल) पर Netflix, Microsoft, Salesforc, Twitter, Meta, Amazon आदि जैसी दिग्गज कंपनियां ने हजारों कर्मचारियों को काम से निकाला है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, कई भारतीय कंपनियाँ जैसे BYJU’S, Unacademy, Chargebee, Cars24, Ola, Meesho, MPL, Innovaccer, Udaan और Vedantu आदि साल 2022 में अब तक कुल रूप से 17,500 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुकी हैं।

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