संपादक, न्यूज़NORTH
Online Gaming Rules: भारत के ऑनलाइन गेमिंग का बाजार दिन-प्रतिदिन बड़ा होता जा रहा है और हैरानी की बात ये है कि अभी भी देश किसी पुख्ता ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को परिभाषित और रेगुलेट करने वाले कानून का इंतजार कर रहा है।
लेकिन इतना जरूर है कि भारत सरकार ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है और जल्द से जल्द इसको अंतिम रूप दिया जा सकता है। लेकिन इस दौरान अब इन कानूनों से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है।
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असल में सामने ये आया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने केवल स्किल आधारित गेम्स को आगामी नए नियमों के दायरे में लाने और ‘गेम आफ चांस’ को इन नियमों से बाहर रखने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
सरल शब्दों में कहें तो किसी भी तरह के ऑनलाइन गेम्स, जिनसे वास्तव में पैसा कमाया जा सकता है वह सभी गेम्स भारत सरकार द्वारा बनाए जा रहे नए नियमों के दायरे में आएँगें और उनके लिए इन नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।
Online gaming rules will apply to all real-money games in India – Report
इस बात का खुलासा Reuters की एक हालिया रिपोर्ट के जरिए हुआ, जिसमें सरकारी दस्तावेज और तीन सूत्रों का हवाला देते हुए ये जानकारी सामने रखी गई है।
गौर करने वाली बात ये है कि इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि आगामी ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र से संबंधित नियम केंद्र सरकार को सभी प्रकार के ऑनलाइन गेम्स पर अधिक निगरानी रखने की क्षमता प्रदान करेंगें, लेकिन इसके बाद भी राज्य सरकारों का यह अधिकार बना रहेगा कि वह अपने-अपने राज्यों में ‘गेम आफ चांस’ पर प्रतिबंध लगा सकें।
जानकारों के अनुसार, सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे नियम देश में ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र के भविष्य की रूपरेखा तय करते नजर आएँगे। अब तक सामने आई जानकारियों के मुताबिक, सरकार इन नियमों को तैयार करने के दौरान क्षेत्र से जुड़े सभी हितकारों, टैक्स एक्सपर्ट्स आदि से राय भी ले रही है।
जाहिर है ऑनलाइन गेमिंग के तेजी से बढ़ते कारोबार को देखते हुए सरकार ऐसा नहीं चाहेगी कि नए नियमों को पेश करने के बाद भी, रेगुलेशन आदि को लेकर किसी प्रकार की कोई कमी रह जाए, जिसके चलते कुछ गेमिंग कंपनियाँ अनुचित लाभ उठा सकें।
क्या है ‘गेम ऑफ चांस’?
असल में ‘गेम ऑफ चांस’ को भारत की देशी जुबान में ‘जुए’ की तरह माना जाता है, जो लगभग देश भर के सभी इलाकों में प्रतिबंधित है। मौजूदा समय में इनको प्रतिबंधित करने या ना करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है।
ये नियम इसलिए भी अहम हो जाते हैं क्योंकि रिसर्च फर्म Redseeer की एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2026 तक भारत में गेमिंग कारोबार $7 बिलियन के आँकड़े को पार कर जाएगा, जिसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी रियल-मनी गेम्स की ही होगी।
वर्तमान समय में भी हम देख रहें हैं कि कई वैश्विक दिग्गज निवेशक जैसे Tiger Global au Sequoia Capital इस क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं। Dream11 और मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) जैसे कई स्टार्टअप्स आज काफी लोकप्रियता अर्जित कर चुके हैं।
इन तमाम लोकप्रिय गेम्स के तेजी से पैंठ बनाने के बाद भी आज तक भारत में ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया जा सका है।
एक तरफ देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि कार्ड गेम जैसे ‘रमी’ व कुछ फैंटेसी गेम्स को ‘स्किल पर आधारित’ गेम माना जा सकता है, जो क़ानूनी रूप से मान्य हैं। लेकिन दूसरी ओर कई राज्यों के उच्च न्यायालयों ने समय-समय पर ‘पोकर’ जैसे तमाम गेम्स को लेकर अपनी अलग राय व्यक्त की है।
आपको बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में शीर्ष अधिकारियों से बना एक पैनल महीनों से देश के ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर के लिए नियमों का मसौदा (ड्राफ़्ट) तैयार कर रहा है।