संपादक, न्यूज़NORTH
UPI payment apps may impose transaction limit: इस बात में कोई शक नहीं है कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानि UPI आज के समय भारत का सबसे लोकप्रिय पेमेंट मोड बन गया है। इसकी इतनी लोकप्रियता के पीछे का कारण, सरल उपयोग और सुरक्षित विकल्प का होना है।
आजकल तो आप एक ही यूपीआई पेमेंट ऐप जैसे Google Pay, PhonePe आदि में कई बैंक अकाउंट्स मर्ज कर सकते हैं। इन ऐप्स के जरिए पूरी स्वतंत्रता से बड़े-बड़े भुगतान कर सकते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि जल्द ये तस्वीर बदल सकती है।
ऐसी तमाम ख़बरें सबसे पहले पाने के लिए जुड़ें हमारे टेलीग्राम चैनल से!: (टेलीग्राम चैनल लिंक)
असल में ऐसा कहने के पीछे का आधार है IANS की एक हालिया रिपोर्ट, जिसके अनुसार UPI पेमेंट ऐप्स जैसे Google Pay, PhonePe, Paytm आदि जल्द ही अपने-अपने ऐप्स पर ट्रांजैक्शन लिमिट लगा सकते हैं।
आसान शब्दों में कहें तो जल्द ये हो सकता है कि इन यूपीआई पेमेंट ऐप्स के यूजर्स शायद ऐप्स के जरिए ‘अनलिमिटेड पेमेंट’ ना कर पाएँ।
असल में यूपीआई (UPI) डिजिटल पेमेंट का संचालन करने वाला नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) फिलहाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के साथ यह विचार कर रहा है कि इन यूपीआई पेमेंट ऐप्स के वॉल्यूम को 30% तक सीमित करने के लिए प्रस्तावित 31 दिसंबर की समय सीमा को लागू किया जाए।
असल में मौजूदा समय में देश के भीतर यूपीआई पेमेंट ऐप्स के लिए कोई वॉल्यूम कैप नहीं है। ऐसे में आलम ये है कि अकेले Google Pay और PhonePe ही इस क्षेत्र में करीब 80% तक की बाजार हिस्सेदारी रखते हैं।
UPI payment apps may impose transaction limit
मुद्दा ये है कि NPCI चाहता है कि तेजी से बढ़ते UPI क्षेत्र किसी कंपनी के एकाधिकार तक सीमित न रहे, क्योंकि किसी भी बाजार में एकाधिकार के अपने जोखिम हैं। इसलिए यह प्रस्तावित किया गया था कि UPI पेमेंट की सुविधा देने वाले किसी भी थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर्स के पास बाजार की 30% से अधिक हिस्सेदारी ना रहे।
देश भर में युवाओं से लेकर हर वर्ग के बीच यूपीआई का इस्तेमाल बढ़ रहा है, इसलिए ये मसला बेहद अहम हो जाता है। शायद यही वजह है कि इससे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करने के लिए एक बैठकें भी आयोजित की गई।
इस बैठक में NPCI के अधिकारियों के अलावा, वित्त मंत्रालय और आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया था।
वैसे सामने आई कई रिपोर्ट्स के अनुसार, NPCI से कई संबंधित कंपनियों और बाजार के हिस्सेदारों की ओर से यह अनुरोध किया गया है कि 31 दिसंबर की समय सीमा को फिलहाल बढ़ा दिया जाए। लेकिन इस विषय में अभी तक कोई अंतिम फ़ैसला नहीं लिया गया है।
इस बीच आँकड़ो की बात करें तो अक्टूबर 2022 में यूपीआई ट्रांजैक्शन की कुल संख्या में लगभग 7.7% की बढ़त दर्ज की गई है, जो लगभग 730 करोड़ रहा, और कुल वैल्यू ₹12.11 लाख करोड़ तक थी।