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Moonlighting के चलते Wipro ने 300 कर्मचारियों को निकाला, जानें क्या कहता है भारतीय कानून?

Moonlighting के चलते Wipro ने 300 कर्मचारियों को निकाला, जानें क्या कहता है भारतीय कानून?

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Wipro fires 300 employees for moonlighting: भारत की नामी आईटी कंपनियों में से एक, विप्रो (Wipro) बीते दिनों से सुर्खियों में है। वजह है कंपनी द्वारा मूनलाइटिंग (Moonlighting) के आरोप के चलते 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देना।

इस खबर के सामने आने के बाद से ही मूनलाइटिंग (Moonlighting) देशभर में चर्चा का विषय बन गया है, खासकर भारत में आईटी कर्मचारियों के बीच!

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Wipro का आरोप है कि इन कर्मचारियों ने कंपनी की प्राइवेसी को खतरे में डालते हुए संवेदनशील डेटा की सुरक्षा से भी समझौता किया है, जो सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन है।

क्या है मूनलाइटिंग (Moonlighting)?

मूनलाइटिंग को अगर परिभाषित किया जाए तो इसे एक नौकरी के साथ ही गुप्त रूप से अन्य जगह नौकरी करने (मुख्य रूप से प्रतिद्वंदी कंपनी में) के तौर पर देखा जा सकता है।

आसान शब्दों में जब किसी कंपनी का कोई कर्मचारी किसी प्रतिद्वंदी कंपनी में भी चोरी-छिपे तरीके से काम करता है तो उसे तकनीकी रूप से ‘मूनलाइटिंग’ कह सकते हैं।

इस तरीके की दूसरी नौकरी या साइड जॉब को मूनलाइटिंग का नाम इसलिए भी दिया गया है क्योंकि किसी कंपनी के कर्मचारी ये काम ज्यादातर रात में या वीकेंड पर करते हैं।

दिलचस्प ये है कि कुछ ही दिनों पहले Wipro के चेयरमैन, रिशद प्रेमजी (Rishad Premji) ने अपने एक बयान में मूनलाइटिंग प्रथा की कड़ी आलोचना की थी। 

उन्होंने अपने हालिया बयान में कहा था कि;

“मूनलाइटिंग असल में कंपनी की अखंडता को लेकर उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है। लोगों को इस विषय पर कंपनी के साथ पारदर्शी रूप से बात करनी चाहिए।”

“इस विषय पर एक खुली बातचीत करते हुए कंपनी और कर्मचारी कोई ठोस विकल्प तलाश सकते हैं, ताकि ये तय किया जा सके कि क्या कंपनी को इस तरह की प्रथा से कोई हर्ज है या नहीं?”

इस बीच आईटी सेक्टर से संबंधित Wipro की नाराजगी का एक बड़ा कारण ये भी माना जा रहा है कि मूनलाइटिंग के आरोपों से घिरे ये कर्मचारी सीधे तौर पर Wipro की मुख्य प्रतिद्वंदी कंपनियों के लिए काम कर रहे थे।

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मूनलाइटिंग को लेकर इंडस्ट्री में ही है दो मत

ऐसा नहीं है कि सभी कम्पनियाँ या कंपनी के शीर्ष अधिकारी मूनलाइटिंग के खिलाफ ही हैं। जैसा सामान्य रूप से अधिकतर विषयों में देखा जाता रहा है, इस विषय को लेकर भी इंडस्ट्री के अंदर ही दो राय देखने को मिल रही है।

एक तरफ जहाँ कुछ लोग मूनलाइटिंग की प्रथा को कंपनी के साथ धोखा मानते करार दे रहे हैं, वहीं इंडस्ट्री में कई ऐसे लोग भी हैं जो इसे आज के वक्त की माँग के रूप में देख रहे हैं।

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एक तरफ ‘मूनलाइटिंग’ को लेकर IBM से लेकर Infosys भी Wipro से रूख को सही मान रहे हैं, वहीं हाल ही में Swiggy देश की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने मूनलाइटिंग पॉलिसी की घोषणा की है।

लेकिन आईटी सेक्टर में पिछले कुछ सालों में मूनलाइटिंग की प्रथा तेजी से बढ़ी है। बेंगलुरु जैसे टेक हब में कई ऐसे कर्मचारी देखने को मिलते हैं, जो एक साथ दो समान क्षेत्र से संबंधित कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में आईटी सेक्टर के लिए डेटा सुरक्षा का विषय भी एक चुनौती बनता जा रहा है।

मूनलाइटिंग को लेकर क्या कहता है भारत का कानून? 

भारत में एक व्यक्ति (इंप्लॉई) बिना कोई कानून को तोड़े एक नौकरी के साथ दूसरी नौकरी भी कर सकता है। लेकिन समान क्षेत्र में ही दूसरी नौकरी करने वाले कर्मचारी को प्राइवेसी के उल्लंघन संबंधित आरोपों से जूझना पड़ सकता है। इसलिए अधिकांश कंपनियों में कर्मचारी अनुबंधों में डिविजुअल एंप्लॉयमेंट एग्रीमेंट का खंड भी शामिल होता है।

इस बीच Twitter पर भी इस विषय को लेकर तमाम तरीके के मत देखने को मिल रहे हैं;

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