संपादक, न्यूज़NORTH
Railway Innovation Portal for Startups: भारत में स्टार्टअप ईकोसिस्टम को मज़बूत बनाने की दिशा में अब भारतीय रेलवे भी अपना योगदान देता नजर आ रहा है, और इसी दिशा में अब रेलवे ने इंडियन रेलवे इनोवेशन पॉलिसी को लागू करने की दिशा में एक नया पोर्टल पेश किया है।
सोमवार को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे के लिए स्टार्टअप नीति के साथ ही एक आधिकारिक तौर इंडियन रेलवे इनोवेशन पोर्टल लॉन्च किया।
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इस पोर्टल के जरिए उन स्टार्टअप्स से आवेदन स्वीकार किए जाएँगें, जो देश में ट्रांसपोर्टर के लिए लागत प्रभावी, स्केलेबल समाधान और कार्यात्मक प्रोटोटाइप विकसित करने को लेकर काम कर रहे हैं।
Railway for Startups: कितनी मिलेगी मदद?
ऐसे चुनिंदा स्टार्टअप्स में भारतीय रेलवे अब सीड फंडिंग के रूप में ₹1.5 करोड़ तक का निवेश करने का मन बना रहा है। इतना ही नहीं बल्कि आधिकारिक रूप से यह भी स्वीकार किया गया है कि व्यापक प्रसार के लिए इस अनुदान को बढ़ाकर ₹3 करोड़ तक किया जा सकता है।
दिलचस्प रूप से भारतीय रेलवे की ओर से स्टार्टअप्स को ये राशि 50% पूंजी अनुदान (कैपिटल ग्रांट), सुनिश्चित बाजार, पैमाने और ईकोसिस्टम तंत्र के तहत दी जाएगी। इसके तहत सलाना रूप से रेलवे लगभग ₹50 करोड़ तक खर्च करेगी।
इन स्टार्टअप्स को मिलेगा लाभ?
इसको लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि
“इस योजना का लाभ उठाने के लिए स्टार्टअप को ऐसे समाधानों के साथ सामने आना होगा जो 11 चिन्हित समस्या क्षेत्रों में से कम से कम एक को संबंधित हो और उसे संबोधित करे।”
आप शायद सोच रहें हों भला वो 11 चिन्हित समस्या क्षेत्र कौन कौन से हैं? असल में इस लिस्ट में ब्रोकन रेल डिटेक्शन सिस्टम, रेल स्ट्रेस मॉनिटरिंग सिस्टम, भारतीय रेलवे के साथ इंटरऑपरेबल उपनगरीय सेक्शन के लिए हेडवे इम्प्रूवमेंट सिस्टम और ट्रैक निरीक्षण गतिविधियों का स्वचालन आदि शामिल है।
इसके लिए रेलवे के विभिन्न मंडलों, क्षेत्रीय कार्यालयों और रेलवे के तमाम जोनों से प्राप्त 100 से अधिक समस्या बयानों में से प्राथमिकता के आधार पर 11 समस्याओं को चुना गया है।
इस बीच रेलवे मंत्री ने यह भी कहा कि मंत्रालय स्तर पर बनाए गए 150 करोड़ रुपये के कोष के अलावा रेलवे द्वारा स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए संभाग स्तर पर एक अलग कोष भी बनाये जाने की योजना है।
यह इसलिए भी दिलचस्प हो जाता है क्योंकि हाल ही में ही भारत का पहला ‘स्वदेशी हाइपरलूप’ बनाने के लिए IIT मद्रास और भारतीय रेलवे ने एक साझेदारी की है।
इस साझेदरी के ज़रिए भारत में हाइपरलूप टेक्नोलॉजीज के लिए उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence for Hyperloop Technologies) भी स्थापित करने की योजना बनाई गई है।