संपादक, न्यूज़NORTH
ASCI Guidelines for Crypto & NFT Ads: भारत में मौजूदा वक़्त में क्रिप्टोकरेंसी और NFTs को लेकर स्थिति अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट होती नज़र नहीं आ रह है। लेकिन लगातार सरकार और वैधानिक संगठनों की ओर से जारी बयानों के चलते ये तो साफ़ हो चला है कि देश में क्रिप्टो व NFTs जैसे डिगिताल एसेट्स को जल्द क़ानूनी मान्यता नहीं मिलती नहीं दिखाई दे रही है।
और अब इस दिशा में एक और बड़ा क़दम आया है, जो देश में क्रिप्टो व एनएफ़टी इंडस्ट्री के लिए बेहद अहम है। असल में एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने वर्चुअल डिजिटल एसेट (Virtual Digital Asset) जैसे – क्रिप्टोकरेंसी, एनएफ़टी आदि से संबंधित विज्ञापनों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है।
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देश में लगातार क्रिप्टो और एनएफ़टी निवेशकों से पूरी जानकारी ना साझा करते हुए, उन्हें डिजिटल एसेट्स में निवेश की ओर आकर्षित करने जैसी शिकायतों के चलते ये क़दम उठाया गया है।
ASCI Guidelines for Crypto & NFT Ads: All Details
सबसे पहले तो आपको बता दें Advertising Standards Council of India (ASCI) के मुताबिक़ अब से वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) उत्पादों और सेवाओं के विज्ञापनों में कुछ ऐसे Disclaimer को शामिल करना होगा;
“क्रिप्टो उत्पाद और एनएफटी अनियमित हैं और अत्यधिक जोखिम भरे हो सकते हैं। इस तरह के लेनदेन से किसी भी नुकसान के लिए कोई नियामक का सहारा नहीं लिया जा सकता है।”
(English Version) –
“Crypto products and NFTs are unregulated and can be highly risky. There may be no regulatory recourse for any loss from such transactions.”
नए दिशानिर्देशों में ये साफ़ कहा गया है कि तय किए गए इस Disclaimer को एक औसत उपभोक्ता के लिए प्रमुख रूप से पेश करना होगा।
इसको प्रिंट, वीडियो, ऑडियो प्रारूप के साथ-साथ सोशल मीडिया पोस्ट, कहानियों आदि में निर्देशों के मुताबिक़ शामिल करना होगा।
आइए इस दिशानिर्देश से जुड़े कुछ अहम बिंदुओं को जान लेते हैं;
- नए दिशानिर्देश अभी वर्चुअल डिजिटल एसेट संबंधी तमाम विज्ञापन माध्यमों पर लागूँ होंगें। विज्ञापन में स्पष्ट रूप से लिखना होगा कि क्रिप्टो और एनएफ़टी अनियमित उत्पाद हैं और निवेश में भारी जोखिम निहित हो सकता है।
- वर्चुअल डिजिटल एसेट संबंधी उत्पादों और सेवाओं के विज्ञापनों में “कस्टोडियन”, “करेंसी”, “सिक्योरिटीज” और “डिपॉजिटरी” जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसका कारण ये बताया गया है कि सामान्यतः इन शब्दों का इस्तेमाल नियमित (रेगुलेटेड) उत्पादों के लिए किया जाता है।
- 12 महीने से कम की अवधि के लिए रिटर्न को शामिल नहीं किया जा सकता है।
- वर्चुअल डिजिटल एसेट की क़ीमत को साफ़ तौर पर बताना होगा और विज्ञापन में शामिल सेलिब्रिटीज को पहले जोखिम के बारे में बताना होगा।
- VDA पर आधारित विज्ञापनों में “भविष्य में मुनाफे में वृद्धि का वादा या गारंटी” देने संबंधित कोई भी बयान नहीं दिया जाएगा।
- विज्ञापन देने वाले के बारे में सही जानकारी और उनसे संपर्क करने के ज़रिए जैसे फोन नंबर या ईमेल की जानकारी दी जानी आवश्यक होगी।
- विज्ञापनों में वर्चुअल डिजिटल एसेट उत्पादों की तुलना किसी अन्य रेगुलेटेड एसेट से नहीं की जा सकेगी।
- इन डिगिताल उत्पादों की क़ीमत और इससे होने वाले मुनाफ़े की सही और स्पष्ट जानकारी देनी होगी। मान लीजिए ‘ज़ीरो कॉस्ट’ का ज़िक्र किया जाता है तो उसमें उन सभी खर्चो को शामिल करना होगा, जिससे ग्राहक को ऑफर या ट्रांजैक्शन से संबंधित सटीक जानकारी मिल सके।
ASCI Crypto ads Guidelines: 1 अप्रैल 2022 से देशभर में लागू हो जाएगी ASCI की नई गाइडलाइन्स
आपको बता दें ASCI द्वारा विज्ञापनों के लिए जारी की गई ये गाइडलाइंस 1 अप्रैल 2022 से देशभर में लागू कर दी जाएगी।
ASCI की मानें तो इन दिशानिर्देशों को सरकार और अन्य तमाम स्टेकहोल्डर्स के साथ विचार-विमर्श के बाद ही अंतिम स्वरूप दिया गया है। बताया गया कि VDA संबंधित विज्ञापनों के लिए नई गाइडलाइंस को लेकर पिछले काफ़ी समय से चर्चा की जा रही थी।
ध्यान देने वाली बात ये है कि इस बार के बजट 2022 में जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भारत में किसी भी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफ़र (लेनदेन) आदि से होने वाली आय पर 30% टैक्स लगाने का ऐलान किया तो देश में डिजिटल एसेट्स के क़ानूनी भविष्य को लेकर अटकलें तेज कर दी थीं।
ये कहा जाने लगा था कि सरकार इसको क़ानूनी मान्यता देने का मन बना रही है। लेकिन इसके बाद ख़ुद वित्त मंत्री की ओर से इन अटकलों का खंडन कर दिया गया, और बताया गया कि टैक्स लगाने का ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि सरकार इसको आधिकारिक रूप से मान्यता दे रही है।
इसके साथ ही कुछ ही दिनों पहले, भारत के वित्त सचिव, टीवी सोमनाथन (TV Somanathan) ने अपने बयान में कहा कि बिटकॉइन (Bitcoin) और इथीरियम (Ethereum) या नॉन फंजीबल टोकन (NFTs) को भारत में कभी भी वैध मुद्रा (लीगल टेंडर) घोषित नहीं किया जा सकता।
और हाल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांता दास (Shaktikanta Das) ने भी निजी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को देश की वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़ा ख़तरा बताया था।
ऐसे में भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर अभी भी कुछ साफ़ तौर पर कह पाना मुश्किल सा ही नज़र आ रहा है, लेकिन इतना ज़रूर है कि इसको अभी तक पूरी तरह से नकारा भी नहीं गया है।