संपादक, न्यूज़NORTH
ISRO EOS-03 Launch (Hindi): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो (ISRO) ने 12 अगस्त को क़रीब सुबह 5:43 am पर अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट (EOS-3) को 51.70 मीटर लंबे GSLV-F10 रॉकेट के ज़रिए लॉन्च किया।
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से की गई इस लॉन्चिंग के बाद सैटेलाइट ने दो चरण सफलतापूर्वक पूरे भी किए। पर क़रीब 18 मिनट के बाद ही ‘मिशन कंट्रोल सेंटर’ में वैज्ञानिकों के चेहरों पर चिंता की लकीरें दिखने लगीं।
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असल में मिशन कंट्रोल सेंटर को रॉकेट के तीसरे स्टेज में लगे क्रायोजेनिक इंजन से 18.29 मिनट पर सिग्नल और आंकड़ें मिलने बंद हो गए थे। और इसके कुछ ही समय बाद इसरो ने मिशन के पूरा न हो सकने का ऐलान कर दिया। आसान भाषा में कहें तो इसरो का ये मिशन आंशिक रूप से असफल रहा।
इस बीच तत्काल ही इसरो द्वारा चलाया जा रहा लाइव प्रसारण बंद कर दिया गया। और इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने भी मिशन के पूर्णतः सफ़ल न हो सकने की पुष्टि कर दी।
ISRO GSLV-F10 & EOS-03 Launch Mission Fails (Hindi)
वैसे अगर ये मिशन सफ़ल रहता तो सुबह करीब 10:30 बजे से ही ISRO EOS-3 सैटेलाइट भारत की तस्वीरें लेना शुरू कर सकता था। और ये अंतरिक्ष में भारत के लिए सीसीटीवी का काम करता और हर आधे घंटे में भारत की तस्वीरें लेता रहता, जिसको बाद में देश के वैज्ञानिक या मंत्रालय अपनी ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल कर सकते थे।
बता दें इस लॉन्च मिशन में मुख्य रूप से तीन काम होने थे, सबसे फले सुबह 5:43 बजे सैटेलाइट लॉन्च किया गया, इसके बाद जियो ऑर्बिट में अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट को स्थापित किया जाना था, और फिर ओजाइव पेलोड फेयरिंग यानी बड़े उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा जाना था।
फरवरी 2021 में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह (EOS) अमेजोनिया-1 (Amazonia-1) और 18 अन्य छोटे सैटेलाइटों के सफ़ल प्रक्षेपण के बाद इस साल यह इसरो का यह दूसरा अंतरिक्ष मिशन था।
असल में EOS-3 (Earth Observation Satellite-3) को जिस जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-एफ 10 (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle-F10) से लॉन्च किया गया, वह रॉकेट क़रीब 52 मीटर ऊंचा और 414.75 टन वजनी था।
इस रॉकेट में इसमें तीन स्टेज होते हैं और यह क़रीब 2500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को जियोट्रांसफर ऑर्बिट में पहुंचाने की क्षमता रखता है। बता दें EOS-3 सैटेलाइट का वजन लगभग 2268 किलोग्राम बताया जा रहा है।
अगर ये सैटेलाइट जियोट्रांसफर ऑर्बिट में जाता, तो उसके बाद सैटेलाइट अपने प्रोपेलेंट की मदद से अपने तय ऑर्बिट में स्थापित हो जाता, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से ये सैटेलाइट वहाँ पहुँच ही नहीं सका।
GSLV-F10 launch took place today at 0543 Hrs IST as scheduled. Performance of first and second stages was normal. However, Cryogenic Upper Stage ignition did not happen due to technical anomaly. The mission couldn't be accomplished as intended: ISRO
— ANI (@ANI) August 12, 2021