संपादक, न्यूज़NORTH
PhonePe Becomes Top UPI App in July: भारत के यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) बाज़ार में PhonePe ने एक बार फिर अपना दबदबा साबित किया है। जुलाई में PhonePe ने कुल 1.4 बिलियन UPI लेनदेन दर्ज करते हुए बाज़ार में 46% हिस्सेदारी हासिल की।
ये आँकड़े नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की एक नई रिपोर्ट के ज़रिए सामने आ सकें हैं। रिपोर्ट दर्शाती है कि जुलाई में PhonePe के के ज़रिए कुल ₹288,572 करोड़ के लेनदेन किए गए हैं।
ऐसी तमाम ख़बरें सबसे पहले पाने के लिए जुड़ें हमारे टेलीग्राम चैनल से!: (टेलीग्राम चैनल लिंक)
इस बीच जहाँ टॉप पर फिर से PhonePe रहा, वहीं Google Pay ने दूसरे स्थान पर रहते हुए लगभग ₹230,874 करोड़ के कुल 1,119.16 मिलियन लेनदेन दर्ज किए। जी हाँ! इसी के साथ ही जुलाई के महीनें में Google Pay ने 1 बिलियन लेनदेन का आँकड़ा पार कर लिया।
इसके साथ ही Paytm Payments Bank ऐप में ₹51,694 करोड़ के 454.06 मिलियन लेनदेन दर्ज किए। वहीं बात करें अगर वॉल्यूम मार्केट शेयर की तो Google Pay ने 34.45% हिस्सेदारी हासिल की और Paytm Payments Bank ऐप की 14% हिस्सेदारी रही।
PhonePe Becomes Top UPI App: जानिए पूरे आँकड़े
वॉल्यूम के मोर्चे पर मासिक वृद्धि की बात की जाए तो PhonePe ने 15% से अधिक, Google Pay ने 15% और Paytm Payments Bank ऐप ने 18.50% वृद्धि दर्ज करी है।
दिलचस्प बात ये है कि थर्ड पार्टी एप्लिकेशन प्रोवाइडर (TPAPs) के लिए वॉल्यूम कैप को लेकर NPCI के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, PhonePe, Google Pay जैसे पेमेंट ऐप का वॉल्यूम मार्केट शेयर 30% से अधिक नहीं होना चाहिए।
NPCI के ये नए नियम 1 जनवरी 2021 से प्रभावी होंगें। लेकिन मौजूदा ऐप्स के लिए नियमों के अनुसार अगर वह 31 दिसंबर 2020 तक तय वॉल्यूम सीमा से अधिक हिस्सेदारी रखती हैं तो उन्हें नए प्रावधानों का पालन करने के लिए प्रभावी तिथि से 2 वर्ष की अवधि दी जा रही है।
बता दें जुलाई में UPI लेनदेन ने एक और नया रिकॉर्ड बनया है, क्योंकि जुलाई महीनें में कुल UPI लेनदेन का आँकड़ा जहाँ 3,247.82 मिलियन से अधिक रहा, वहीं पहली बार कुल ₹6 लाख करोड़ की क़ीमत के लेनदेन दर्ज हुए।
2016 में लॉन्च किए गए UPI ने लेनदेन के वॉल्यूम के मामले में अप्रैल 2020 में पहली भारी गिरावट दर्ज की थी, जो 1 बिलियन से गिर कर 990 मिलियन रह गई थी, वहीं उस बीच लेनदेन की क़ीमत ₹1.51 लाख करोड़ आ गई थी।
वैसे माना ये जाता है कि आँकड़ों में ये गिरावट कोविड-19 महामारी के चलते लागू हुए लॉकडाउन और प्रतिबंधों की वजह आई थी, क्योंकि तब ट्रैवल, डाइनिंग आउट, ई-कॉमर्स और अन्य कई तरह के लेनदेन प्रभावित हुए थे।