संपादक, न्यूज़NORTH
महाराष्ट्र में एक बार फिर से ग़ैर-ज़रूरी (Non-Essentials) की डिलीवरी का मुद्दा गर्मा गया है। असल में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या उसने गैर-ज़रूरी समानों की आपूर्ति करने वाले और लॉकडाउन प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्मों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया है या नहीं?
इसके साथ ही इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान, जज रमेश धानुका और माधव जामदार की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या सरकार ने उन रिटेलर्स के लिए कोई राहत का क़दम उठाया है, जिनका व्यवसाय लॉकडाउन की वजह से काफ़ी प्रभावित हुआ था।
आपको बता दें रिटेलर्स के बारे में पूछने के दौरान अदालत ने राज्य सरकार द्वारा हॉकरों को प्रदान की जाने वाली राहत संबंधित सुविधा का भी ज़िक्र किया।
महाराष्ट्र सरकार ने महामारी के दौरान फेरीवालों (हॉकरों) के लिए एक विशेष राहत पैकेज जारी किया है और इसलिए रिटेल खुदरा विक्रेताओं की भी एक माँग है कि उन्हें भी ऐसा ही समान पैकेज देने के लिए राज्य को निर्देश दिए जाएँ।
Bombay High Court on Non-Essentials Delivery in Maharashtra
लेकिन आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ये सब आख़िर किस याचिका की सुनवाई के दौरान हुआ। तो इसका जवाब भी आपको दे देते हैं। असल में बेंच फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन (FRTWA) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
इस याचिका में FRTWA ने लॉकडाउन के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के कारण रिटेल विक्रेताओं को हुए नुकसान का ज़िक्र करते हुए, उन्हें राहत प्रदान करने की अपील की थी।
लेकिन इन सब के बीच अदालत में FRTWA का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता दीपेश सिरोया ने कोर्ट को बताया कि एक तरफ़ जहाँ छोटे रिटेल विक्रेताओं पर कई तरह की पाबंदियाँ लगी हैं और वह उसका अनुपालन भी कर रहें हैं, वहीं दूसरी ओर केवल ज़रूरी (Essentials) सामानों या सेवाओं की अनुमति के बाद भी ई-कॉमर्स कंपनियाँ गैर-ज़रूरी (Non-Essentials) सामानों की डिलीवरी आदि कर रहें हैं और खुलेआम सरकार के प्रतिबंधो का उल्लंघन कर रहे थे।
इसी को लेकर जजों की बेंच ने तब राज्य सरकार के वकील से पूछा कि ई-कॉमर्स द्वारा ग़ैर-ज़रूरी सामानों की डिलीवरी को लेकर क्या कार्यवाई की गई है और इसको लेकर एक रिपोर्ट कोर्ट को दी जाए।
इसके साथ ही इस याचिका में रिटेल विक्रेताओं पर लाइसेंस शुल्क, संपत्ति कर और अन्य शुल्क माफ करने की मांग भी की गई है।