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1 या 2 दिन बाद देश में बढ़ सकती हैं “सोशल मीडिया कंपनियों की मुश्किलें”

1 या 2 दिन बाद देश में बढ़ सकती हैं “सोशल मीडिया कंपनियों की मुश्किलें”

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Social Media Intermediaries Status India: अभी देश में सरकार और ट्विटर के बीच खींचातान शुरू हुई ही है कि देश में अन्य सोशल मीडिया कंपनियों की मुश्किलें भी बढ़ती नज़र आने लगी हैं। असल में रिपोर्ट्स के मुताबिक़ सोशल मीडिया कंपनियों जैसे ट्विटर (Twitter), फेसबुक (Facebook) और इंस्टाग्राम (Instagram) के पास अब क़रीब दो दिन का ही वक़्त हैं, जब वह सरकार के नए नियमों का पालन सुनिश्चित कर सकें।

असल में नए नियमों के अनुसार इन तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को देश में एक रेजिडेंट शिकायत निवारण अधिकारी, एक मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करती हैं, और इसके लिए अब सिर्फ़ 2 दिन से भी कम का वक़्त बचा हुआ है।

Social Media प्लेटफ़ॉर्म मानें जाते हैं ‘Intermediaries’

आपको बता दें, फरवरी 2021 में जारी भारत सरकार के नए दिशानिर्देशों के अनुसार सबसे अहम नियम से था कि इन कंपनियों को 26 मई तक ऊपर बताए गए तमाम भूमिकाओं के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करनी थी। ये नियम उन सभी सोशल मीडिया कंपनियों पर लागू होता है, जिनके पास भारत में 50 लाख से अधिक यूज़र्स हैं और उन सोशल मीडिया कंपनियों को बिचौलियों (Intermediaries) का दर्जा प्राप्त है।

मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अगर इन कंपनियों ने अगले दो दिनों में इस नियम के पालन को सुनिश्चित नहीं किया तो वो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 (Section 79) के तहत मिलने वाली अहम ‘सुरक्षा’ खो सकती हैं और उनका ‘बिचौलियों (Intermediaries) का टैग समाप्त कर दिया जाएगा।

What if Social Media Platform Lose Intermediaries Tag?

असल में सेक्शन 79 सोशल मीडिया बिचौलियों को उनके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए कानूनी रूप से उत्तरदाई बनाने से छूट प्रदान करता है। लेकिन अगर कम्पनियाँ बिचौलियों का टैग खो देती हैं तो उनके प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह कि कोई गैरकानूनी और अवैध सामग्री शेयर होने पर कंपनियाँ भी आपराधिक रूप से उत्तरदायी होंगी।

कंपनियों के देरी को लेकर दिए गए तर्क से नाराज़ है आईटी मंत्रालय – रिपोर्ट

असल में आप सोच रहें होंगें की ये कंपनियाँ भला इन पदो पर तुरंत नियुक्ति क्यों नहीं कर दे रहीं हैं। असल में सूत्रों के अनुसार ज़्यादातर कंपनियों ने आईटी मंत्रालय से कहा है कि उन्हें इन पदों पर नियुक्ति से पहले अपने अमेरिका स्थित अपने-अपने मुख्यालयों से उचित मंज़ूरी हासिल करनी होगी, जिसके लिए वक़्त चाहिए होगा।

लेकिन ज़ाहिर है आईटी मंत्रालय ने बिचौलियों के इस रुख का कड़ा विरोध किया है और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनियों को साफ़ तौर पर कहा गया है जब वे भारत में व्यापार करते हैं और भारत के उपयोगकर्ताओं के डेटा से राजस्व अर्जित करते हैं, तो अमेरिका में बैठे उनके दल देश की स्थिति का एक पक्षीय आकलन कैसे कर सकते हैं?

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और साथ ही कथित रूप से मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया है कि भारत में पहले से काम कर रही बड़ी बड़ी सोशल मीडिया कंपनियाँ को देश के लिए शिकायत निवारण तंत्र बनाने के लिए अमेरिका से मंज़ूरी मिलने की प्रतीक्षा नहीं कर सकती हैं।

फिर याद दिला दें, 25 फरवरी को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सोशल मीडिया बिचौलियों के लिए नए दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया, जिसमें कहा गया था कि भारत में 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं वाले सभी प्लेटफार्मों को तीन महीने के भीतर एक रेजिडेंट शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा। इसके साथ ही मुख्य अनुपालन अधिकारी, और एक नोडल कांटैक्ट पर्सन के साथ ही कंपनी की वेबसाइट पर इनके विवरण प्रकाशित करने होंगें।

साथ ही इन प्लेटफार्मों को एक मासिक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी कि कितनी शिकायतें दर्ज की गईं और उनका निपटारा कैसे किया गया।

सूत्रों ने कहा कि प्लेटफार्मों ने इन तमाम नियमों के अनुपालन के लिए सरकार से छह महीने तक का अतिरिक्त समय मांगा, लेकिन सरकार फ़िलहाल ज़्यादा वक्त देने को तैयार नज़र नहीं आ रही है।

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