संपादक, न्यूज़NORTH
Aarogya Setu Plasma Donors Database: पिछले साल भारत सरकार द्वारा पेश किया गया कोविड-19 कांटैक्ट ट्रेसिंग ऐप आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) जल्द ही देश में योग्य प्लाज्मा डोनर्स (Plasma Donors) का एक डेटाबेस बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
बता दें रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ़्ते Aarogya Setu एप्लिकेशन के सेल्फ़-असेसमेंट टूल को अपडेट किया गया था, ताकि लोग अपने वैक्सिनेशन स्टेटस और क्या वो प्लाज़्मा (Plasma) डोनेट करना चाहते हैं, ये तमाम जानकारियाँ भी प्रदान कर सकें।
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माना ये जा रहा है कि इस जानकारी को संबंधित स्थानीय सरकारी अधिकारियों के साथ शेयर किया जा सकता है, ताकि वो ज़रूरत पड़ने पर Aarogya Setu के इस डेटाबेस का इस्तेमाल करते हुए प्लाज्मा डोनर्स (Plasma Donors) को संपर्क कर सकें।
असल में ठीक हो चुके कोविड-19 रोगियों के ब्लड में मौजूद प्लाज्मा में एंटीबॉडी होते हैं, जो एक संक्रमित व्यक्ति को वायरस से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
ET में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकारी सूत्रों द्वारा ये बताया गया है कि क़रीब 20 से 25 लाख लोग रोज़ वैक्सीन लगवा रहें हैं और इसलिए अब Aarogya Setu के इस नए मॉड्यूल को ऐसे डिज़ाइन गया है ताकि ये पता लग सकते कि किसको वैक्सीन की एक खुराक या दोनों खुराक लगवाने के बाद भी संक्रमण हुआ है? या वैक्सिनेशन के बाद किसको कुछ साइड-इफ़ेक्ट नज़र आ रहें हैं?
आपको बता दें देश में महामारी की चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने Aarogya Setu और CoWin जैसे दो मुख्य मोबाइल एप्लिकेशन पेश किए हैं। लेकिन ये दोनों ही ऐप्स हाल ही में कुछ विवादों से घिरे रहे।
Aarogya Setu से जुड़ा विवाद
असल में 15 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद को 1967 के गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम या कहें तो UAPA के तहत गिरफ्तारी के सात महीने बाद जमानत दी थी। लेकिन अदालत ने UAPA के तहत लगे आरोपों को ख़ारिच नहीं किया गया है।
पर इस फ़ैसले में दिलचस्प ये था कि दिल्ली हाईकोर्ट ने ₹20,000 बॉन्ड भुगतान और इतनी ही जमानत राशि के साथ उमर खालिद को जमानत देने का फैसला तो सुनाया, लेकिन एक और शर्त रखी, जिसके तहत उमर खालिद को अपने मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) ऐप इंस्टॉल किए रहना होगा।
और इसी आदेश के बाद से ही उन आरोपों को और बल मिलने लगा, जिसके चलते तमाम मामलों में Aarogya Setu द्वारा स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों से अलग भी लोगों की मनमाने ढंग से ट्रैकिंग के आरोप लगाए जा रहे हैं।
नहीं बता सकतें CoWin ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी: स्वास्थ्य मंत्रालय
असल में इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन (IFF) ने हाल में एक ट्वीट कर बताया कि उन्होंने हाल ही में एक RTI दायर की थी, जिसके तहत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) से को पूछा गया था कि CoWin उपयोगकर्ताओं के पर्सनल डेटा की सुरक्षा कैसे की जाएगी?
लेकिन इसको लेकर जहां स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ पहलुओं की जानकरियाँ दी, वहीं ये भी साफ़ कह दिया कि CoWin ऐप से जुड़ी प्राइवेसी पॉलिसी की कॉपी प्रदान नहीं की जा सकती है, क्योंकि “CoWin ऐप केवल राष्ट्रीय, राज्य और जिला-स्तरीय प्रशासकों द्वारा ही एक्सेस की जा सकती है। आम जनता केवल वैक्सीनेशन के लिए खुद को रजिस्टर कर सकते हैं।