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WhatsApp का बड़ा ऐलान, ‘ख़त्म की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर 15 मई की समय सीमा’

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WhatsApp 15 May Deadline: अभी कुछ ही दिन पहले हमनें आपको बताया था कि अगर 15 मई तक आपने WhatsApp की विवादित प्राइवेसी पॉलिसी को ‘Accept’ नहीं किया तो आपके अकाउंट के साथ क्या-क्या हो सकता था?

लेकिन अब WhatsApp ने सबको हैरान करते हुए एक बड़ा ऐलान किया है, जिसके तहत अब कंपनी ने इस 15 मई की समय सीमा (WhatsApp 15 May Deadline) को समाप्त करने का फ़ैसला किया है।

जी हाँ! कंपनी के साफ़ कहा है कि 15 मई के बाद अगर यूज़र्स उसकी नई विवादित प्राइवेसी पॉलिसी नहीं ‘Accept’ करते हैं, तब भी उनका अकाउंट डिलीट नहीं होगा।

ज़ाहिर है! जैसे जैसे ये WhatsApp की 15 मई की समयसीमा (15 May Deadline) पास आ रही थी, लोगों के बेच बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी, क्योंकि सबसे बड़ा मुद्दा ये है कि कंपनी ने नई प्राइवेसी पॉलिसी पर सिर्फ़ ‘Agree’ करने का ही विकल्प दिया है।

लेकिन अब फ़िलहाल तो कंपनी ने भारतीय यूज़र्स को एक बड़ी राहत दी है और एक बड़े कश्मकश से छुटकारा भी। पर ये कंपनी ने साफ़ कहा है कि वह अपनी इस नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर यूज़र्स को रिमाइंडर्स भेजती रहेगी।

कब आई थी WhatsApp 15 May Deadline?

इससे पहले WhatsApp ने इस साल की शुरुआत में ही अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को पेश करते हुए सभी यूजर्स को 8 फरवरी, 2021 तक इसे एक्सेप्ट करने की समय सीमा दी थी। लेकिन इस नई पॉलिसी के चलते देश भर में WhatsApp का कुछ यूँ विरोध शुरू हुआ कि कंपनी को अपनी समय सीमा बढ़ा कर 15 मई करनी पड़ी थी। इस बेच कंपनी का कहना था कि वह लगातार कोशिशें कर रही थी कि नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर लोगों के कथित भ्रम को दूर करने का काम करे।

क्या हो सकता है डेडलाइन ख़त्म करने का कारण?

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असल में WhatsApp की इस नई पॉलिसी को लेकर जहाँ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने WhatsApp और Facebook के ख़िलाफ़ जाँच का आदेश दे दिया था, वहीं इसको लेकर Facebook और WhatsApp ने इस आदेश के खिलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका दायर की है।

इसके साथ ही इसकी विवादित पॉलिसी का मुद्दा देश की सर्वोच्च अदालत में भी है और उस पर भी सुनवाई जारी है। ऐसे में हो सकता है कि WhatsApp ऐसा कोई क़दम न उठाना चाहता हो जो देश की सर्वोच्च अदालत और साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट की अवमानना करता नज़र आए, क्योंकि सुनवाई से उस मुद्दे पर पहले यूज़र्स को लेकर कोई क़दम उठाना नैतिक रूप से भी कंपनी के लिए सही नहीं होगा।

क्यों नई Privacy Policy को नहीं छोड़ रहा है WhatsApp?

मुद्दा ये है कि भले WhatsApp एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होने का दावा करता रहे, लेकिन ये पॉलिसी के बाद कथित रूप से ये चैट और उपयोगकर्ताओं के मेटाडेटा, लेनदेन डेटा, मोबाइल डिवाइस की जानकारी, IP ऐड्रेस और अन्य डेटा को Facebook आदि से शेयर करता रहेगा, ताकि ये देखा जा सके कि बिज़नेस के संदर्भ में लोगों की सोच क्या है? और इसका ही इस्तेमाल Facebook टारगेट एडवर्टाइजमेंट के लिए करेगा।

ज़ाहिर है ये क़दम कंपनी अपने एक और सपने को पूरा करने के लिए भी उठा रही है। WhatsApp भारत के बेहद व्यापाक और अपार संभावनाओं से भरे ई-कॉमर्स क्षेत्र में ख़ुद को एक Super App की तरह स्थापित करने के प्रयास करना चाहता है, और वह छोटे बिज़नेस आदि को कस्टमर डेटा एनालिटिक्स की भी सुविधा प्रदान करने का मन बना रही है।

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