संपादक, न्यूज़NORTH
भारत की केंद्र सरकार का कोविड-19 वैक्सीन रजिस्ट्रेशन पोर्टल CoWin अपने लॉन्च के बाद से कुछ जानकार इससे जुड़े कई पहलुओं पर सवाल उठाते रहें हैं। और अब CoWin ऐप को लेकर एक RTI के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताई गई चीज़ों ने एक बार फिर से इसको बहस का मुद्दा बना दिया है।
असल में इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन (IFF) ने बुधवार को एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि CoWin ऐप पोर्टल पर वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करने पर यूज़र्स का किस तरह का डेटा स्टोर किया जाता है?
दिलचस्प यह था कि ये तमाम जानकारी IFF ने CoWin ऐप को लेकर दायर की गई एक RTI के जवाब के आधार पर शेयर की है। अपने ट्वीट में IFF ने CoWin के डेटा सुरक्षा तंत्र व इसके इसके अभाव के बारे में अपनी कुछ चिंताए और उनके कारण भी बताए हैं।
इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन (IFF) ने पिछले महीने सूचना के अधिकार के तहत एक RTI की थी, जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) से को पूछा गया था कि CoWin उपयोगकर्ताओं के पर्सनल डेटा की सुरक्षा कैसे की जाएगी?
लेकिन इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने जहाँ इसको लेकर कुछ पहलुओं की जानकरियाँ शेयर की, वहीं यह भी कहा गया है कि CoWin ऐप से जुड़ी प्राइवेसी पॉलिसी की कॉपी प्रदान नहीं की जा सकती है, क्योंकि “CoWin ऐप केवल राष्ट्रीय, राज्य और जिला-स्तरीय प्रशासकों द्वारा ही एक्सेस की जा सकती है। आम जनता केवल वैक्सीनेशन के लिए खुद को रजिस्टर कर सकते हैं।
CoWin RTI: ये डेटा होता है स्टोर!
इस RTI के ज़रिए IFF ने बताया कि CoWin ऐप पर यूज़र्स का नाम, लिंग, जन्म तिथि (DOB), फोटो आईडी, फोटो आईडी का प्रकार और मोबाइल नंबर जैसे डेटा स्टोर होता है।
लेकिन ग़ौर करने वाली बात यह है कि Aadhar को CoWin पर रजिस्ट्रेशन के लिए अनिवार्य नहीं किया गया है। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि CoWin ऐप द्वारा स्टोर किए गए डेटा को राष्ट्रीय, राज्य और जिला-स्तरीय प्रशासकों द्वारा एक्सेस किया जा सकता है।
आपको याद होगा 28 अप्रैल को ही भारत सरकार ने 18 साल से अधिक उम्र के नागरिकों के लिए कोविद-19 रजिस्ट्रेशन की शुरुआत की है।
लेकिन रजिस्ट्रेशन के शुरू होते ही कुछ ही मिनटों में Twitter पर लोगों ने शिकायत शुरू कर दी कि ऐप क्रैश हो गई थी, हालंकि इसके बाद ऐप को दुरुस्त किया गया।
This lack of answerability leads us to believe that either the Ministry doesn’t have the necessary info (which is problematic to say the least), or they are refusing to give us access to info – because that may open the doors to further questions.
Here are the documents.
6/n pic.twitter.com/UlSmagn1z8— Internet Freedom Foundation (IFF) (@internetfreedom) March 18, 2021
जब Aarogya Setu को लेकर उठा सवाल?
15 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद को 1967 के गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत उसकी गिरफ्तारी के सात महीने बाद जमानत दे दी थी। लेकिन साफ़ कर दें कि UAPA के तहत आरोपों को अभी तक ख़ारिच नहीं किया गया है।
पर मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ दिल्ली हाईकोर्ट ने ₹20,000 बॉन्ड भुगतान और इतनी ही जमानत राशि के साथ उमर खालिद को जमानत देने का फैसला किया है। और ज़मानत की एक और दिलचस्प शर्त ये रखी गई थी कि उमर खालिद को अपने मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) ऐप इंस्टॉल करना होगा।
इस आदेश के बाद से ही ऐसी अटकलें लगाने लगें हैं कि शायद आरोग्य सेतु का इस्तेमाल कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जमानत या अंडर-ट्रायल व्यक्तियों को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।