संपादक, न्यूज़NORTH
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द ही अपने गगनयान (Gaganyaan) मिशन के तहत एक डेटा रिले (Data Relay) सैटेलाइट लॉन्च कर सकता है, जो असल में गगनगायन (Gaganyaan) के लॉन्च के बाद मिशन के साथ संपर्क बनाए रखने या कहें तो ट्रैकिंग को लेकर मदद करेगी।
इस डेटा रिले (Data Relay) सैटेलाइट को गगनयान (Gaganyaan) मिशन के अंतिम चरण से पहले लॉन्च किया जाएगा। आपको बता दें मिशन के अंतिम चरण में असल में अंतरिक्ष यात्रियों को लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजा जाना है।
जी हाँ! ISRO अपना पहला मानवरहित मिशन इस साल दिसंबर, 2021 में लॉन्च करने वाला है।
क्यों अहम है ISRO की ये Data Relay सैटेलाइट
मीडिया रिपोर्ट्स में इस मिशन से संबंधित सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ISRO की योजना पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान से पहले खुद का एक सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च करने की है, जो एक डाटा रिले (Data Relay) सैटेलाइट की तरह काम करता नज़र आएगा।
ये भी जानकारी सामने आई है कि ये प्रोजेक्ट क़रीब ₹800 करोड़ की लागत का होगा, जिसको मंज़ूरी दी जा चुकी है और देश के वैज्ञानिकों की टीम ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है।
ज़हरी है ISRO की योजना स्पष्ट नज़र आती है कि पहले मानव अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने से पहले ही भारत के पास खुद का कम्युनिकेशन नेटवर्क तैयार हो, और ट्रैकिंग आदि के लिए कोई Data Relay सैटेलाइट देश के पास पहले से ही अंतरिक्ष में मौजूद रहे।
कैसे काम करेगा ISRO Data Relay सैटेलाइट
आपको बता दें पृथ्वी के ऑर्बिट में मौजूद किसी भी सैटेलाइट को ग्राउंड स्टेशन का क्लियर व्यू नहीं मिलता है तो वह इन्फॉर्मेशन को पृथ्वी तक नहीं भेज पाता है और ऐसी स्थिति में समाधान के तौर पर इस्तेमाल की जाती है Data Relay सैटेलाइट।
Data Relay सैटेलाइट को निचली कक्षा में स्थापित किया जाता है, जो असल सैटेलाइट की तुलना में ग्राउंड स्टेशन के पास होती है। ISRO दुनियाभर में फैले कई ग्राउंड स्टेशंस का इस्तेमाल करता है, जिनमें मॉरीशियस, ब्रूनेइ और बायाक, इंडोनेशिया आदि शामिल हैं। लेकिन ऐसी खबरें हैं कि गगनयान मिशन के लिए भारत ऑस्ट्रेलियन के साथ मिलकर कोको आईलैंड्स में ग्राउंड स्टेशन सेटअप कर सकता है।
बता दें अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के पास पहले से ही अंतरिक्ष में डाटा रिले सैटेलाइट्स का नेट्वर्क मौजूद है।
Gaganyaan मिशन पर भारत-फ़्रांस भी आए साथ
बीते 15 अप्रैल को ही ISRO और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी CNES ने गगनयान (Gaganyaan) में सहयोग को लेकर एक समझौता किया है।
इस समझौते के तहत CNES भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO को इसके गगनयान (Gaganyaan) मिशन की तैयारी में मदद करने का काम करेगा और साथ ही वह इसरो को इस क्षेत्र में एकलौते यूरोपीय साझेदार के रूप में काम करेगा।
क्या है ISRO का Gaganyaan मिशन?
Gaganyaan मिशन का मक़सद 2022 तक पांच से सात दिनों के लिए तीन सदस्यीय दल को अंतरिक्ष में भेजने का है। असल में यह वही साल होगा जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 साल पूरे कर रहा है।
जैसा हम पहले भी बता चुके हैं कि इस मिशन को ISRO कई चरणों में पूरा करेगा और शुरू में मानव रहित लॉन्च कर तैयारियों के ज़रिए सुरक्षा आदि पहलुओं को परखा जाएगा, जिसकी शुरुआत दिसंबर, 2021 से हो सकती है।
इसके लिए इसरो ने अपने हिसाब से मिशन की प्लानिंग शुरू कर दी है। पिछले साल ISRO के अध्यक्ष के. सिवन ने जानकारी दी थी कि भारतीय वायु सेना (IAF) के चार बेहतरीन पायलटों को 2022 तक पृथ्वी की कक्षा के आसपास भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए चुना गया है।