संपादक, न्यूज़NORTH
ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक (Facebook) विवादों से दूर नहीं रह सकता। ख़ासकर भारत में बीते कुछ समय से Facebook और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को लेकर काफ़ी तरह के मुद्दे उठते रहें हैं।
और अब The Guardian की एक हाल ही रिपोर्ट के अनुसार Facebook पर आरोप लगते नज़र आ रहे हैं कि भाजपा (BJP) के एक सांसद की लोकप्रियता को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए फ़ेंक अकाउंट के नेटवर्क को प्लेटफ़ॉर्म पर अनुमति दी गई।
हालंकि कंपनी इन फ़ेंक अकाउंट्स को हटाने की तैयारी करनी शुरू कर दी थी, लेकिन वो भी तब जब कंपनी को ये पता चला कि वह भाजपा नेता ख़ुद इस फ़ेंक नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।
आपको बता दें इन तमाम बातों का ख़ुलासा Facebook की एक पूर्व डेटा साइंटिस्ट Sophie Zhang ने किया है। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने पिछले साल सितंबर में एक 6,600-शब्द वाला आंतरिक ज्ञापन लिखा था।
उसमें उन्होंने यह बताया था कि कैसे सोशल मीडिया दिग्गज़ Facebook यह जानती है कि भारत सहित दुनिया भर के देशों में राजनेता प्लेटफ़ॉर्म पर ग़लत तरीक़ों से वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रहें हैं, लेकिन इसके बाद भी कंपनी कुछ भी ठोस क़दम उठाने में विफल रही।
रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2019 में Sophie Zhang ने संदिग्ध फ़ेसबुक अकाउंट के चार नेटवर्क का पता लगाया, जो भाजपा और कांग्रेस दोनों दल के नेताओं के पोस्ट आदि पर फ़ेंक लाइक, कॉमेंट करके एंगेजमेंट बढ़ा रहे थे।
इसके बाद जब यह पता लगा की इन संदिग्ध अकाउंट में एक अकाउंट एक भाजपा सांसद का भी है तो कंपनी ने उन अकाउंट्स को हटाने की ज़िम्मेदारी कर्मचारियों को दी।
लेकिन जब Zhang ने अकाउंट को ‘चेकपॉइंट’ के लिए मंज़ूरी लेनी चाही तो ऐसी स्थिति में भी उसको कम प्राथमिकता देते हुए मंजूरी नहीं दी गई थी।
पहले भी उठे हैं Facebook और BJP को लेकर सवाल
ये इसलिए भी दिलचस्प हो जाता है क्योंकि पिछले साल अगस्त में WSJ की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि Facebook भाजपा (BJP) के साथ जुड़े राजनेताओं और सांसदों को अभद्र भाषा संबंधित नियमों के उल्लंघन के बाद भी प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ावा दे रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया था कि Facebook भारत में इसके बिज़नेस पर कोई प्रभाव न पड़े इसलिए प्लेटफ़ॉर्म पर सत्ताधारी BJP नेताओं द्वारा किए जा रहे कई उल्लंघनों को अनदेखा कर रहा है।
ग़ौर करने वाली बात ये है कि उस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के दो महीने बाद Facebook की तत्कालीन सार्वजनिक नीति प्रमुख, अंखी दास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।