संपादक, न्यूज़NORTH
देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेज़ी से बढ़ रही है और ऐसे में तमाम राज्यों में इसको रोकने के लिए आंशिक लॉकडाउन जैसे उपाय अपनाए जा रहे हैं। और इसी कड़ी में कई जगहों पर ई-कॉमर्स कंपनियों को ग़ैर-ज़रूरी (Non Essentials) चीज़ों की डिलीवरी बंद करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
पर इन दिशानिर्देशों ने ई-कॉमर्स कंपनियों के बीच उलझन पैदा कर दी है, कि भला वह इन चीज़ों को ज़रूरी (Essentials) मानें और किन चीज़ों को ग़ैर-ज़रूरी (Non Essentials)?
कल ही महाराष्ट्र सरकार ने राज्य भर में मई तक के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ग़ैर-ज़रूरी (Non Essentials) चीज़ों की डिलीवरी सुविधा पर रोक लगा दी है, वहीं हरियाणा ने भी अपने नाइट कर्फ्यू के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों को सिर्फ़ ज़रूरी (Essentials) चीज़ों की डिलीवरी कर सकने की अनुमति दी है।
लेकिन परेशानी यहीं हैं, असल में ET की एक रिपोर्ट के ज़रिए भी अब ये सामने आया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को ये स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है कि Non-Essentials या Essentials कैटेगॉरी में कौन कौन सी चीज़ें आएँगी।
कंपनियाँ किसी तरह स्थानीय स्तर पर सरकारी आधिकारियों यहाँ तक की पुलिस आदि के ज़रिए इस उलझन का हल तलाशने पर मजबूर हैं।
डिलीवरी कंपनियाँ किस तरह के कंफ्यूजन का कर रही हैं सामना?
जैसे बीते बुधवार को देर रात, मुंबई पुलिस ने यह साफ़ किया कि नाइट कर्फ्यू लागू लगने यानि रात 8:00 बजे के बाद Swiggy और Zomato जैसी फ़ूड डिलीवरी सेवाएँ काम कर सकती हैं।
रिपोर्ट की मानें तो कई वरिष्ठ ई-कॉमर्स अधिकारी महाराष्ट्र, हरियाणा व आदि जगहों पर टॉप सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत की कोशिश करके, इन दिशानिर्देशों पर स्पष्टता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
उलझन की स्थिति कुछ ऐसी है कि जैसे महाराष्ट्र के नासिक में, जिला प्रशासन ने राज्य दिशानिर्देशों के विपरीत, वीकेंड में ई-कॉमर्स गतिविधि की अनुमति नहीं दी है। वहीं रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ के दुर्ग में ई-कॉमर्स कंपनियों को अनुमति नहीं है, जबकि दंतेवाड़ा में केवल सुबह 9 बजे से 3 बजे के बीच ज़रूरी सामानों की डिलीवरी की जा सकती है।
ज़ाहिर सी बात है कि उलझन की स्थिति सभी के लिए है भले वह Amazon, Flipkart, Snapdeal, Urban Company, Paytm Mall जैसी कंपनियाँ हों या Reliance और Tata Group जैसी दिग्गज़ कंपनियाँ या फिर BigBasket, Grofers, Swiggy, 1mg, Zomato, Pharmeasy और Udaan जैसे प्लेटफ़ॉर्म।
अब देखना ये है कि क्या केंद्र सरकार कंपनियों और तमाम राज्य सरकारों के बीच बनी इस उलझन की स्थिति को ख़त्म करने के लिए कोई पहल करती है? ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले साल ऐसी ही स्थिति में हमनें केंद्र सरकार को कई पहलुओं पर “स्पष्टता” उजागर करने के लिए काम करते देखा था।
क्यों मुश्किल है Non Essentials सामानों की कोई स्थाई सूची बनाना?
ये इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि बढ़ती महामारी और संक्रमण के बीच अधिकतर लोग ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए ही सामान मँगवाना पसंद कर रहे हैं, ताकि वह घर से ना निकले और संक्रमण का ख़तरा ना बढ़े।
लेकिन अब सभी लोगों की ज़रूरत अलग-अलग होती है, किसी के लिए कोई सामान ज़रूरी (Essential) तो किसी के लिए कुछ। ऐसे में ग़ैर-ज़रूरी (Non Essentials) की कोई स्थाई लिस्ट बना पाना ज़ाहिर है एक मुश्किल काम है। पर देखना ये है कि भला अब स्थिति से निपटने के लिए तमाम सरकारें किस प्रकार से उलझनों को दूर करते हुए कोई स्पष्ट दिशानिर्देश सामने ला पाती हैं?