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भारतीय स्पेस-टेक स्टार्टअप Pixxel ने हासिल किया ₹52.8 करोड़ का निवेश; पेश किया ‘हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग’ प्रोजेक्ट

भारतीय स्पेस-टेक स्टार्टअप Pixxel ने हासिल किया ₹52.8 करोड़ का निवेश; पेश किया ‘हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग’ प्रोजेक्ट

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बेंगलुरु और लॉस एंजेलिस आधारित स्पेस-टेक स्टार्टअप Pixxel ने अपने सीड फ़ंडिंग राउंड में Techstars, Omnivore VC व अन्य निवेशकों से क़रीब ₹52.8 करोड़ ($7.3 मिलियन) का निवेश हासिल किया है।

इसके साथ ही इस भारत के सबसे ज़्यादा लोकप्रिय स्पेस डेटा स्टार्टअप ने एक नए प्रोडक्ट को भी पेश किया है, जिसका नाम है “हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging)”

इस नए हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग तकनीक के ज़रिए Pixxel असल में विभिन्न तरंग दैर्ध्य (Wavelengths) पर तस्वीरों को कैप्चर करने और उन्हें प्रॉसेस करने का काम करेगा।

यह तकनीक सैटेलाइटों के नेटवर्क के माध्यम से अदृश्य ऑन-ग्राउंड परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए लाइट फ़्रीकवेंसी का इस्तेमाल करती है।

कंपनी की मानें तो यह दुनिया भर में सबसे अधिक रिज़ल्यूशन वाले हाइपरस्पेक्ट्रल सैटेलाइटों का एक ग्रुप अंतरिक्ष में लॉन्च करने की योजना बना रही है।

इस दो साल पुराने स्टार्टअप ने इसके अफले अगस्त 2020 में $5 मिलियन (क़रीब ₹36 करोड़) का निवेश हासिल किया था, जिसको तब भारत के सबसे बड़े सीड फ़ंडिंग राउंड के तौर पर देखा जा रहा था।

तब ये निवेश Pixxel ने Indian VC firms Blume Ventures, growX ventures, Lightspeed India, Inventus Capital India सहित कुछ अन्य एंजल निवेशकों से हासिल किया था।

इस बीच अवीस अहमद ने ट्विटर पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि वह कुछ सर्वश्रेष्ठ इमेजिंग तकनीक को अंतरिक्ष में तैनात करने के लिए उत्साहित हैं, जो किसी ऑर्बिट में स्थापित की जा सके और धरती में अंतरिक्ष से लाए लाभों को प्रदान कर सके।

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आपको बता दें Pixxel को 28 फरवरी, 2021 को अपना पहला उपग्रह आनंद (Anand) लॉन्च करना था, लेकिन कुछ सॉफ्टवेयर संबंधी कारणों के चलते इसे अब तक लॉन्च

नहीं किया जा सका है। Anand असल में Pixxel के अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाइटों के Firefly Fleet का ही एक हिस्सा है। असल में Pixxel का ये Firefly Fleet सैटेलाइट का एक ग्रुप है जो पृथ्वी के चारों ओर ग्रह की निगरानी के लिए लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में तैनात किया जाना है।

इसके पहले दिसंबर 2020 में Pixxel ने ISRO PSLV रॉकेट पर अपने रिमोट सेंसिंग उपग्रह को लॉन्च करने के लिए भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) की कमर्शियल शाखा, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के साथ भी साझेदारी की थी।

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असल में देश के अंतरिक्ष क्षेत्र में भी प्राइवेट कंपनियों के लिए खोले गए अवसरों के चलते इस क्षेत्र में कुछ स्टार्टअप्स तेज़ी से उभर कर सामने आए हैं।

भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने भी इन स्टार्टअप्स के लिए अपने स्पेस एंटरप्रेन्योरशिप एंड एंटरप्राइज डेवलपमेंट (SEED) प्रोग्राम के ज़रिए संभावनाओं के दरवाजे खोलें हैं।

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इसके पहले अगस्त, 2020 में Skyroot भारत में पहली निजी अंतरिक्ष कंपनी बन गई थी, जिसने अपने ऊपरी चरण के रॉकेट इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

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वहीं चेन्नई स्थित एयरोस्पेस स्टार्टअप Agnikul Cosmos ने भी अक्टूबर, 2020 में Alaska Aerospace Corporation के साथ अपने ‘Agnibaan’ रॉकेट का परीक्षण शुरू करने के लिए एक अहम साझेदारी की है।

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