संपादक, न्यूज़NORTH
सरकार ने बुधवार को संसद में ये कहा कि नए सोशल मीडिया नियमों के तहत सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफ़ॉर्मों के लिए एक रेगुलेटर (Regulator) सेटअप करने का आईटी मंत्रालय के साथ कोई प्रस्ताव फ़िलहाल नहीं है।
असल में संसद में बोलते हुए केंद्रीय आईटी और संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने महज़ आईटी अधिनियम के तहत Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021 जारी किया है, जिसका पालन देश में मौजूद सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को करना होगा।
Social Media Regulator पर सरकार का रूख
रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा को सूचित करते हुए कहा कि
“सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली विकसित करने के लिए कहा गया है। लेकिन फ़िलहाल इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास कोई रेगुलेटर सेटअप करने जैसा कोई प्रस्ताव नहीं है।”
आपको याद दिला दें सरकार ने फरवरी में Twitter, Facebook आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों और Netflix, Prime Video जैसे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों के लिए नई व्यापाक गाइडलाइन पेश की थीं, जिसमें उन्हें 36 घंटे के भीतर ग़ैर-क़ानूनी कंटेंट की पहचान कर उसको हटाने और शिकायतों को दूर करने के लिए कहा गया है।
इसके साथ ही शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने के साथ ही कंपनियों को एक आधिकारी की नियुक्ति भी करनी होगी, जो देश में ही रहना चाहिए और जिसकी आधिकारिक रूप से जवाबदेही तय की जा सके।
रविशंकर प्रसाद ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (nformation Technology Act, 2000) की धारा 69ए के प्रावधान के तहत कहा कि सरकार सोशल मीडिया अकाउंट सहित गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण ऑनलाइन कंटेंट पर लगाम लगाना चाहती है, जो देश की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, राज्य के अनुकूल संबंधों, विदेशी देशों के साथ संबंधों के लिए ख़तरा हो सकते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि
“इस प्रावधान के तहत, 9849 URL/अकाउंट/वेबपेज, जिनमें ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर थे, उन्हें 2020 के दौरान बंद कर दिया गया था।”
उन्होंने यह तमाम बात लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहीं जिसमें पूछा गया था कि क्या सरकार ने सोशल मीडिया पर सरकार के नियंत्रण के चलते संविधान में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर इसके प्रभाव को लेकर कोई स्टडी की है?
इसके जवाब में रविशंकर प्रसाद ने साफ़ तौर पर कहा कि सरकार ने ऐसी कोई भी स्टडी नहीं की है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार सोशल मीडिया पर सवाल पूछने के लिए आलोचना, असंतोष और लोगों के अधिकारों को लेकर उठाई गई चिंताओं का स्वागत करती है।