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भारत में पिछले 4 सालों में 400 बार हुआ इंटरनेट शटडाउन; हर घंटे हुआ औसतन ₹2 करोड़ का नुक़सान

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भारत में आधिकारिक रूप से सरकार द्वारा किए जाने वाले इंटरनेट शटडाउन (Internet Shutdown) का मुद्दा वक़्त के साथ काफ़ी आम होता जा रहा है। सामने आए आँकड़ो के अनुसार भारत में बीते 4 सालों में 400 से अधिक इंटरनेट शटडाउन दर्ज किए हैं।

यहाँ तक कि इस नए साल 2021 की जनवरी में ही देश में 7 बार इंटरनेट बंद किया जा चुका है। इसमें से 5 बार की घटना हरियाणा और दिल्ली में किसानों के विरोध स्थलों के आसपास ही हुई, जिसमें हरियाणा में झज्जर, सोनीपत, और पलवल जिले में भी हाल ही में इंटरनेट सेवाएँ बंद की गई।

तमाम रिपोर्ट्स की मानें तो अभी वर्तमान समय में भी किसानों के द्वारा आंदोलन करने वाली कई जगहों पर इंटरनेट बंद कर रखा गया है। आलम तो ये है कि किसानों के विरोध स्थलों के आसपास इंटरनेट बंद होने से दुनिया भर में अब इसको लेकर जोरदार प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। इस मामले में अब अमेरिकी विदेश मंत्रालय के भी विभाग ने के बयान देते हुए कहा है कि इंटरनेट की आज़ादी असल में एक संपन्न लोकतंत्र की पहचान है।

Internet Shutdown का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

लेकिन ऐसा नहीं है कि इंटरनेट बंद होने से सिर्फ़ देश की साख को ठेस पहुँचती है, असल में स्वाभाविक रूप से इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है, जिसको भारी नुकसान सहना पड़ता है।

अगर Top10vpn की एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2020 में ही अकेले 8,927 घंटे की इंटरनेट बंद करने की वजह से देश को $2.7 बिलियन का नुक़सान हुआ था। वहीं अगर 73.3 रुपये प्रति डॉलर के हिसाब से देखा जाए तो इंटरनेट शटडाउन (Internet Shutdown) की वजह से भारत को हर घंटे ₹2 करोड़ का नुक़सान सहना पड़ा था।

आपको बता दें आर्टिकल 370 के हटने के बाद से ही जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट सेवाएँ क़रीब 233 दिनों के लिए बंद कर दी गई थीं, जो दुनिया में सबसे लंबे समय तक इंटरनेट बंद होने का उदाहरण भी बना। रिपोर्ट्स की मानें तो जम्मू और कश्मीर में 4 अगस्त, 2019 से 4 मार्च, 2020 तक इंटरनेट की सुचारु सुविधा नहीं थी।

इस बीच Forbes की रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के किसी भी अन्य लोकतांत्रिक देश की तुलना में सबसे अधिक बार इंटरनेट बंद करता नज़र आया है।

ये मामले देश में जम्मू और कश्मीर से लेकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसी जगहों पर भी देखने को मिले हैं।

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और कई मामलों में कई दिनों तक इंटरनेट बंद रहता पाया गया है। वास्तव में 2017 में 21 बार, 2018 में 5 बार दिनों और 2019 में 6 बार क़रीब 3 दिनों से अधिक समय के लिए इंटरनेट बंद रहा।

अगर AccessNow की एक रिपोर्ट पर ग़ौर करें तो उसके अनुसार भारत जैसे देशों, जिनके कानूनों में इंटरनेट बंद करने का प्रावधान है, वो और अधिक बार शटडाउन का आदेश देते हैं।

इस बीच सरकारों की हमेशा दलील रही है कि कुछ अवांछित घटनाओं को रोकने के लिए कुछ इंटरनेट शटडाउन लागू किए जाते हैं।

भारत में दूरसंचार विभाग (DoT) ही इंटरनेट सहित दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन की अनुमति देता है। निलंबन का आदेश केंद्रीय गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव द्वारा जारी किया जा सकता है।

 

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