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भारत सरकार ने दी Twitter को चेतावनी; कहा अकाउंट बंद करके को लेकर सरकारी आदेशों को मानें कंपनी: रिपोर्ट

भारत सरकार ने दी Twitter को चेतावनी; कहा अकाउंट बंद करके को लेकर सरकारी आदेशों को मानें कंपनी: रिपोर्ट

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हाल ही में Twitter ने कुछ अकाउंट को सरकारी आदेशों का हवाला देते हुए बंद कर दिया था। लेकिन बाद में विवाद को बढ़ता देख कंपनी ने उन अकाउंट को वापस से बहाल कर दिया है। पर अब इसको लेकर लगता है सरकार और Twitter के बीच खींचतान बढ़ सकती है।

दरसल आज सामने आई Reuters की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय आईटी मंत्रालय ने बुधवार को भारत सरकार की ओर से Twitter को चेतावनी देते हुए लिखा है कि राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित कुछ अकाउंट्स को बंद करने के आदेश का कंपनी को सख़्ती से पालन करना चाहिए।

Twitter ने ब्लॉक किए थे कुछ अकाउंट

दरसल इसके पहले Twitter ने खोजी पत्रकारिता के लिए मशहूर The Caravan, क़िसान आंदोलन के समर्थन से जुड़े Kisan Ekta Morcha और Tractor2Twitr, ऐक्टिविस्ट हंसराज मीणा, आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह, प्रवक्ता प्रीति शर्मा मेनन, CPI(M) नेता मो. सलीम, अभिनेता सुशांत सिंह, और पत्रकार संजुक्ता बसु के Twitter अकाउंट को कंपनी ने बंद कर दिया था।

दरसल कंपनी का कहना था कि सरकार ने क़रीब 250 Twitter अकाउंट्स को बंद करने की माँग की थी, सूत्रों के अनुसार, सरकार का कहना था कि ये उपयोगकर्ता #ModiPlanningFarmerGenocide हैशटैग के साथ हिंसा को भड़काने के उद्देश्य से सामग्री पोस्ट कर रहे थे।

लेकिन इतने बड़े-बड़े अकाउंट्स को बैन करने के बाद से ही भारी संख्या में उपयोगकर्ताओं ने Twitter की आलोचना शुरू कर दी, जिसके बाद कंपनी ने कई अकाउंट्स को अनब्लॉक कर दिया।

लेकिन अब Reuters की रिपोर्ट के अनुसार Twitter ने सरकार के आदेश के बाद भी जब इन कुछ अकाउंट्स को अनब्लॉक करना शुरू किया इसके बाद सरकार ने Twitter को ये बताया है कि वह सरकार के दिशानिर्देश मानने के लिए बाध्य है।

दरसल ऐसी रिपोर्ट की सामने आई थी कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किसानों के विरोध को लेकर सोशल मीडिया पर बढ़ते आंदोलन के चलते MeitY को ऐसा करने के निर्देश दिए थे। सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 69ए के तहत इन Twitter अकाउंट्स को बंद करने और सार्वजनिक शांति की रक्षा व देश की अखंडता को बनाए रखने के लिए MeitY को ये आदेश दिया गया है।

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इस बीच Twitter के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा,

“अगर हमें किसी अधिकारिक इकाई से कुछ स्पष्ट निर्देशों व क़ानूनों का हवाला देते हुए कोई अनुरोध प्राप्त होता है तो समय-समय पर कुछ विशेष कंटेंट आदि को हटाया जा सकता है।”

असल में नए कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर हजारों किसानों ने महीनों से नई दिल्ली के बाहरी इलाकों में डेरा डाला हुआ है। और वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लगातार इन क़ानूनों में कुछ संशोधन करने की बात कर रही है, और सरकार का कहना है कि ये क़ानून सुधार किसानों के लिए नए अवसर खोलते हैं।

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