Now Reading
COVID-19 लॉकडाउन के हटने से भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में हुई 17% की वृद्धि; वापसी दर भी 10%-30% तक घटी: रिपोर्ट

COVID-19 लॉकडाउन के हटने से भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में हुई 17% की वृद्धि; वापसी दर भी 10%-30% तक घटी: रिपोर्ट

ecommerce

ज़ाहिर है कि COVID 19 का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काफ़ी बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन महामारी के माहौल में भी कुछ व्यवसाय ऐसे हैं जो ना सिर्फ़ अपने संचालन को बनाए रख पा रहें हैं, बल्कि उसमें नाटकीय रूप से वृद्धि भी दर्ज कर रहें हैं।

और ई-कॉमर्स उन्हीं कुछ व्यवसायों में से एक रहा है। ई-कॉमर्स कंपनियों ने भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर भी वृद्धि दर्ज की है। E-commerce Trends Report 2020 नामक रिपोर्ट की मानें तो COVID-19 के चलते बने माहौल के बाद भारत के ई-कॉमर्स बाज़ार में 17% की भारी वृद्धि दर्ज की गई है।

असल में इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ई-कॉमर्स पर दुनिया के बदलते माहौल का क्या असर हुआ है। कैसे इन्होंने कंपनियों को सीधे ग्राहकों से जोड़ने के लिए अपने ख़ुद के चैनल बनाने या चैनल भागीदार बनने में मदद की है। और कैसे इस क्षेत्र में उत्पादों की बिक्री दर को संभाले रखा है।

ऐसा नहीं है कि COVID के पहले ई-कॉमर्स कारोबार नहीं बढ़ रहा था, खासकर भारत में तो वॉल्यूम के लिहाज़ से 20% तक की वृद्धि दर्ज की गई थी, वहीं GMV में क़रीब 23% की उछाल देखी गई, वो भी जब औसत ऑर्डर ₹1100 तक का था। लेकिन इस पहले से बढ़ते क्षेत्र को कोरोनोवायरस के चलते बने हालातों ने और भी बल दिया।

ई-कॉमर्स के माध्यम से ऑर्डरों की बढ़ती मात्रा:

जून 2020 तक कुल मिलाकर ई-कॉमर्स में सिर्फ़ 17% की वृद्धि-दर ही नहीं बढ़ी है, बल्कि इसके साथ ही ब्यूटी और केयर क्षेत्र में भी क़रीब 130% की हैरान करने वाली वृद्धि हुई है, जिसके बाद FMCG व कृषि, स्वास्थ्य व फ़ार्मा क्षेत्र रहे, जिनमें क्रमशः 55% और 38% की वृद्धि दर्ज की गई।

लेकिन एक और बेहतर चीज जो इस COVID काल के दौरान सामने आई वह यह कि इन ऑनलाइन खिलाड़ियों को अपने को महानगरों के बाहर के शहरों के हिसाब से भी अपने बुनियादी ढाँचे में परिवर्तन करने पड़े। टियर-II और शहरों से दूर बसे इलाक़ों अब भारत के 66% ई-कॉमर्स में हिस्सेदारी रखते हैं, वहीं टियर-III और उसके बाद इलाक़ों में 53% की वृद्धि देखी गई।

लेकिन इतना ज़रूर है कि ई-कॉमर्स वॉल्यूम के लिहाज़ से टॉप 3 राज्य, दिल्ली एनसीआर, महाराष्ट्र और कर्नाटक रहें, जहाँ कुल मिलाकर उपभोक्ता मांग की 65% हिस्सेदारी देखी गई।

ग्राहकों के संदर्भ में ब्रांड अपना रहें हैं अधिक प्रत्यक्ष तरीक़ा:

COVID की इस महामारी के बीच कंपनियों को अपने सप्लाई चेन का फिर से मूल्यांकन करने और अपने प्रोडक्ट बिक्री के लिए ख़ुद के ऑनलाइन पोर्टल बनाने के लिए भी प्रेरित किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ अपनी वेबसाइट विकसित करने वाले क़रीब 65% ब्रांडों ने काफी वृद्धि दर्ज की है, और उनके द्वारा ख़ुद से डिलीवर किए जाने वाले ऑर्डरों में भी उछाल आया है। साथ ही कंपनियों की वेबसाइट से सीधे खरीदारी करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या बाजारों की तुलना में बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। बता दें इन चैनलों पर ऑर्डर वॉल्यूम वृद्धि 88% रही जबकि मार्केटप्लेस में यही आँकड़ा 32% का रहा।

लेकिन यह भी कहा ये जा रहा है कि असल में  फरवरी 2020 की तुलना में कुल ऑर्डर्स के प्रतिशत में गिरावट आई है, जो कि सीधे कंपनी की वेबसाइट पर ऑर्डर के माध्यम से भेजे जाते थे। दरसल इसके पहले तक ख़ुद से भेजे जाने वाले ऑर्डर्स की कुल प्रतिशत संख्य 35% थी लेकिन अब यह संख्या घटकर 30% रह गई है।

See Also
insolvency-petition-against-byjus-in-nclt

रिटर्न दर में भी देखी गई कमी

COVID से पहले ​​की तुलना में ग्राहक जिस तरह से सेवाओं का उपयोग करते आ रहें हैं, उसकी तुलना में अब ग्राहकों के बीच प्रोडक्ट को वापस करने की दर भी कम हुई है। आपको बता दें रिपोर्ट कहती है कि इसमें श्रेणी के अनुसार 10% -30% तक की कमी दर्ज की गई है। हालाँकि इस कम हुई वापसी दर के लिए नए सुरक्षा मानदंडों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, क्योंकि जिन सामानों की माँग इस बीच बढ़ी है वह आमतौर पर रिटर्न (वापस) ही नहीं किए जाते हैं।

आपको बता दें कुल रिटर्न प्रतिशत में पिछले साल की तुलना में 13% तक घटा है। वहीं कुल ऑर्डर वॉल्यूम के लिहाज़ से देखें तो 2019 में क़रीब 20% की तुलना में कुल ऑर्डर वॉल्यूम का यह लगभग 17% ही रहा।

इस बीच कैश ऑन डिलीवरी (CoD) ऑर्डरों पर रिटर्न की बात करें तो यह सबसे अधिक नज़र आते थे।लाइन इन पर भी रिटर्न को कम करने के लिए कंपनियों ने बड़ी मात्रा में पैसा खर्च किया है, और जिससे कुछ अच्छे परिणाम सामने आए हैं। CoD ऑर्डरों पर रिटर्न प्रतिशत 2019 के 27% से घटकर 2020 में 20% हो गया है, वहीं प्रीपेड ऑर्डरों के लिए यही आँकड़ा 2019 के 12% से घटकर 2020 में 11% हो गया है।

दिलचस्प यह है कि टियर-II आदि शहरों में कुल रिटर्न में क़रीब 23% की कमी दर्ज की गई, जो अधिकतर कंपनियों के लास्ट-मील-डिलीवरी और ग्राहक केंद्रित वापसी नीतियों में बदलाव के कारण भी होती नज़र आई।

©प्रतिलिप्यधिकार (Copyright) 2014-2023 Blue Box Media Private Limited (India). सर्वाधिकार सुरक्षित.