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चीन से फंडिंग लेने के लिए अब भारतीय स्टार्टअप्स को लेनी होगी संबंधित सरकारी मंत्रालयों से मंजूरी

चीन से फंडिंग लेने के लिए अब भारतीय स्टार्टअप्स को लेनी होगी संबंधित सरकारी मंत्रालयों से मंजूरी

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हाल ही में मौजूदा हालातों को देखते हुए भारत सरकार ने बुधवार को चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के निवेश को नियंत्रित करने के लिए Foreign Exchange Management Act (FEMA) में संशोधन किया है।

जी हाँ! हाल ही में लायी गयी नयी FDI पॉलिसी के बाद अब अन्य FEMA नियमों के चलते अब से चीन जैसे पड़ोसी देशों में व्यक्तिगत या वेंचर कैपिटल निवेशकों से धन जुटाने की कोशिशें करने वाले भारतीय स्टार्टअप को अब नोडल मंत्रालय से अतिरिक्त रूप से अनुमति लेनी होगी। इसकी जानकारी कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस मामले से जुडें वकीलों और विशेषज्ञों के हवाले से सामने आई है।

जाहिर है यह नया FEMA नियम संशोधन भारत सरकार द्वारा अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति में करीब एक हफ्ते पहले ही किये गये बदलाव के बाद आया है। इस बदलाव के तहत सरकार ने भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से जुडें निवेशकों पर निवेश करने और निवेश से बाहर निकलने दोनों के लिए भारत सरकार की मंजूरी अनिवार्य कर दी है।

दरसल सरकार द्वारा किये जा रहें इन सभी बदलावों के पीछे एक बड़ी वजह है। वैश्विक मौजूदा हालातों में चीन संकट से जूझने के कारण वैश्विक रूप से विभन्न उद्योग की कीमतों के गिरने के चले उन सभी पर अपनी हिस्सेदारी खरीदने के प्रसास कर रहा है।

खासकर भारत में COVID-19 से बचाव के उपयों के तहत करीब 1 महीनें से चल रहें लॉकडाउन के कारण कई सार्वजानिक कंपनियों की वैल्यूएशन और शेयर कीमतों में गिरावट आई है और चीन की सरकारी संस्थाएं इस मौके का पूरा लाभ उठाना चाहती हैं।

यह सिर्फ बातें नहीं हैं, इसका एक ताजा उदाहरण हाल ही में देखने को भी मिला है, जब चीन के राज्य संचालित PBOC बैंक ने भारत के दूसरे सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक HDFC में लाखों शेयर ख़रीदे।

यह सब इसलिए भी दिलचस्प हो जाता है क्योंकि BigBasket, Paytm, Ola, Byju’s, MakeMyTrip, Zomato और Swiggy सहित कई अन्य भारतीय स्टार्टअप्स में चीनी निवेशकों की एक बड़ी हिस्सेदारी है। और अब ये स्टार्टअप्स इन नियमों को लेकर आगामी समय में निवेश के लिहाज़ से इसको अत्यधिक प्रभाविक कर सकने वाले क़दम के रूप में देख रहें हैं।

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असल में इन प्रतिबंधों से पहले भारतीय स्टार्टअप्स में इक्विटी शेयर खरीदने के इच्छुक चीनी या अन्य विदेशी निवेशक ‘ऑटोमैटिक रूट’ अपनाया करते थे जिसके लिए भारतीय नियामकों से किसी विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं होती थी।

लेकिन अब नए प्रतिबंध के चलते चीन जैसे पड़ोसी देशों से स्टार्टअप फंड और निवेश हासिल करने के लिए सरकार से अतिरिक्त अनुमति लेना अनिवार्य बना दिया गया है। उदाहरण के तौर पर चीन स्थित निवेशक से निवेश हासिल करने के इच्छुक फूड डिलीवरी स्टार्टअप को खाद्य और कृषि मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी। वहीँ स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कार्यरत स्टार्टअप को इसके लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।

इसके साथ ही दिलचस्प यह है कि ने FEMA अधिसूचना के तहत पड़ोसी देशों के निवेशकों द्वारा ‘लाभकारी स्वामित्व’ को भी सरकारी जांच के दायरे में लाया गया है। लेकिन सूत्रों की माने तो इस अधिसूचना में लाभकारी स्वामित्व के दायरे को पूरी तरह से परिभाषित नहीं किया गया है।

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