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रिटेलर्स, ई-कॉमर्स और FMGC कंपनियाँ ‘प्रवासी श्रमिकों’ को देंगीं नौकरी; होगा कंपनियों और श्रमिकों दोनों को लाभ

रिटेलर्स, ई-कॉमर्स और FMGC कंपनियाँ ‘प्रवासी श्रमिकों’ को देंगीं नौकरी; होगा कंपनियों और श्रमिकों दोनों को लाभ

मौजूदा लॉकडाउन के हालातों में सबसे ख़राब स्थिति है प्रवासी श्रमिकों की जो अपने अपने घरों से दूर अब खाने और छत के लिए संघर्ष कर रहें हैं।

हालाँकि कई राज्य सरकारें अपने अपने प्रदेशों में ऐसे श्रमिकों के ठहरने और खाने की व्यवस्था कर रहीं हैं, लेकिन यकींनन लगभग अधिकांश राज्यों में इन श्रमिकों की संख्या काफ़ी अधिक है। और ऐसे में राज्य सरकारों के लिए भी इनके लिए मौजूदा समय में इनके लिए रोजगार और अन्य सभी व्यवस्थाएं करना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।

ऐसे में कई खाद्य और खुदरा विक्रेताओं और ऑनलाइन रिटेलर्स के साथ ही साथ विनिर्माण कंपनियों ने शहरों में फंसे इन प्रवासी श्रमिकों को नौकरी देने की योजना बनायीं है।

दरसल इस क़दम से जहाँ एक ओर इन श्रमिकों को काम मिल सकेगा वहीँ इन कंपनियों को भी तेजी से बिना वक़्त गवाएं अपना संचालन शुरू करने में मदद मिलेगी।

इस बीच इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जानकार अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि कुछ बड़ी FMGC कंपनियों जैसे Amul और Parle Products, ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे Flipkart और Grofers, RPG Group सहित अन्य अस्थायी कर्मचारी कंपनियों जैसे TeamLease और CIEL HR आदि ने पहले ही काफी ऐसे प्रवासी श्रमिकों को काम पर नियुक्त किया है या इस प्रक्रिया को शुरू कर चुकें हैं।

वहीँ भारत की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी Amul के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढ़ी ने कहा;

“यह दिल्ली, मुंबई, गुजरात और अन्य शहरों में प्रवासी श्रमिकों को काम पर रखने का एक बड़ा अवसर है। हम अपने भागीदारों के साथ इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने को लेकर काम करेंगें।”

आपको बता दें रिपोर्ट यह बताती है कि Flipkart ने पहले से ही करीब 4000 प्रवासी श्रमिकों को काम कर रख चुकी है, और कंपनी अभी भी और भर्ती की संभवनाएं तलाश रही है। इस काम में Grofers भी पीछे नहीं है, इसने भी करीब 2,000 नए नियुक्त किये गये स्टाफ में बहुत से प्रवासी श्रमिकों को जगह दी है और साथ ही यह अभी भी 5,000 और लोगों को भर्ती करने की योजना बना रहा है।

इस मौके पर अस्थायी कर्मचारियों की भर्ती सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी TeamLease Services की सह-संस्थापक रितुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा;

“हम बेरोजगार हो चुके प्रवासी श्रमिकों और स्थानीय श्रमिकों को अवसर देने का प्रयास कर रहें हैं। हम उन्हें दुकानों, गोदामों, स्टैकिंग आदि क्षेत्रों में नौकरियों प्रदान करने की कोशिश कर, उनकी थोड़ी मदद के प्रयास कर रहें हैं।”

लेकिन इन सब के बीच स्टाफिंग फर्म CIEL HR Services के सीईओ आदित्य नारायण मिश्रा ने एक और गौर करने वाली बात की ओर लोगों का ध्यान लाने की कोशिश में कहा;

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“कई कंपनियों में श्रमिकों की समस्या को जल्द खत्म नहीं किया जा सकता, क्यूंकि राज्यों की सीमाएं बंद हैं और ऐसे में किसी अन्य राज्य से काम में तलाश में लोगों का आना संभव नहीं है।”

“ऐसे में अभी प्राथमिकता गुणवत्ता या प्रशिक्षण नहीं है, बल्कि कंपनियों के संचालन को जल्द से जल्द शुरू करना है।”

साथ ही कई उद्योग से जुड़ें जानकारों का कहना है कि श्रमिकों को कारखानों में काम करने की अनुमति संबंधी सशर्त प्रतिबंध के कारण यह सब और भी मुश्किल हो सकता है। दरसल बहुत से राज्यों में कारखानों में संचालन के लिहाज़ से सिर्फ 50% कमर्चारियों को ही बुलाया जा सकता है, और कुछ राज्यों में यह सीमा और भी कम है।

इसको लेकर भारत के सबसे बड़े बिस्किट निर्माता Parle Products के कैटगरी हेड मयंक शाह ने भी कहा कि कंपनी और अधिक श्रमिकों को काम देना चाहती है, लेकिन वह श्रमिकों की संख्या पर लगाये गये प्रतिबन्ध के चलते मजबूर हैं।

लेकिन इतना जरुर है कि इन कंपनियों के ये कदम सहरानीय हैं, और इससे कंपनियों और श्रमिकों दोनों को मौजूदा स्थिति से निपटने में मदद मिलेगी।

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