संपादक, न्यूज़NORTH
बीते कुछ समय से देश में बने ट्रेंड में शामिल होते हुए अब ऑनलाइन सेकंड-हैंड कार बेचने वाला स्टार्टअप CarTrade अब एक गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) लाइसेंस के लिए आवेदन करने जा रहा है।
जी हाँ! इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बात की जानकारी खुद कंपनी के एक शीर्ष कार्यकारी अधिकारिक ने दी। दरसल कंपनी देश के $30 बिलियन से अधिक के सेकंड-हैंड कार बाज़ार में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के इरादे से ऐसी योजना बना रही है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक CarTrade के प्रबंध निदेशक विनय सांघी ने यह भी बताया कि यह ऑनलाइन ऑटोमोबाइल कंपनी NBFC के बाज़ार में शुरुआत के लिए छोटी कंपनियों के अधिग्रहण के इरादे से ₹400-₹450 करोड़ जमा किये हुए है।
विनय सांघी ने आगे यह भी कहा;
“हम बैंकिंग नियामक (भारतीय रिजर्व बैंक) में लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं और जल्द ही हम NBFC क्षेत्र में अपनी शुरुआत करने की उम्मीद कर रहें हैं।”
सांघी के अनुसार, कंपनी अपने कुछ निवेशकों को बाहर निकलने का विकल्प देने के लिए आगामी 18-24 महीनों में प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) फाइल करने की भी योजना बना रही है।
इस बीच आपको बता दें CarTrade नामक यह स्टार्टअप असल में सिंगापुर सरकार की निवेश इकाई Temasek और इक्विटी फर्म Warburg Pincus जैसे नामों को अपनी निवेशकों की सूची में शामिल किये हुए हैं।
दिलचस्प यह है कि CarTrade पहले से ही अपने कार खरीदारों की मदद के लिए विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी करती आई है। लेकिन अब इस क्षेत्र में बड़ी संभावनाओं को देखते हुए कंपनी वित्तीय कारोबार को लेकर भी किसी और पर आश्रित नहीं रहना चाहती।
इस बीच सांघी ने यह भी ऐलान किया कि कंपनी अपने नए उद्यम के लिए नई टीम बना रही है।
वहीँ इस कंपनी का दावा रहा है कि भारत में लगभग $30 बिलियन के सेकंड-हैंड कारों के बाज़ार में हर साल लगभग 5.5 मिलियन कारें बेंची जाती हैं, जिनकी प्रत्येक रूप से औसतन कीमत लगभग 6 लाख रूपये होती है।
खास है इकॉनोमिक टाइम्स की इस रिपोर्ट में सांघी का एक बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि इस बाजार का केवल 5% हिस्सा ही संगठित है और इसलिए यह अभी भी काफी व्यापक संभावनाओं से भरा हुआ है।
बता दें फरवरी 2017 में CarTrade ने Temasek के नेतृत्व में Warburg Pincus, Tiger Global, JP Morgan और March Capital जैसे निवेशकों से $55 मिलियन जुटाए थे। और अब तक यह स्टार्टअप विभिन्न फंडिंग दौरों में कुल 950 करोड़ रूपये जुटा चुका है।
नवंबर 2015 में कंपनी ने एक नकद सौदे में जर्मन मीडिया समूह, Axel Springer से 590 करोड़ रूपये में CarWale का अधिग्रहण किया था। साथ ही 2016 में इस स्टार्टअप ने एक अज्ञात राशि में वाहन निरीक्षण और मूल्यांकन कंपनी Adroit Inspection का भी अधिग्रहण किया।
इस बीच इस नए उद्यम हेतु सांघी के अनुसार कुल जमा किये गये ₹400-₹450 करोड़ के फंड का इस्तेमाल कई वाहन सर्विसिंग और बीमा क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप्स के अधिग्रहण में किया जा सकता है। कंपनी के अनुसार प्रत्येक डील करीब ₹100 करोड़ के आसपास की हो सकती है।
असल में फ़िलहाल CarTrade की ग्रॉस मेर्चेंडाइस वैल्यू (GMV) लगभग $3 बिलियन है। साथ ही वर्तमान वित्तीय वर्ष में इसके द्वारा करीब ₹425 करोड़ के राजस्व और करीब ₹125 करोड़ के लाभ कमाए जा सकने का भी अनुमान लगाया जा रहा है और यह बात इसको भारत में कुछ ही लाभप्रद ई-कॉमर्स कंपनियों की सूची में शुमार करती है।
वहीँ इकॉनोमिक टाइम्स की इस रिपोर्ट के हवाले से सांघी के बयान के अनुसार, कंपनी को उम्मीद है कि वह वित्त वर्ष 2021 तक लगभग 650 करोड़ रूपये के राजस्व और लगभग 200 करोड़ रूपये के मुनाफ़े के साथ अपनी GMV वैल्यूएशन को $4.5 बिलियन तक पहुँचा सकेगी।