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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 2018 में ‘क्रिप्टोकरेंसी’ पर लगाए प्रतिबंध के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 2018 में ‘क्रिप्टोकरेंसी’ पर लगाए प्रतिबंध के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

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आपको शायद याद हो कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गये प्रतिबंध के आदेश के बाद देश में डिजिटल मुद्राओं या कहें तो ‘क्रिप्टोकरेंसी’ की संभावनाओं पर एक बड़ा सवालिया निशान लग गया था।

लेकिन अब इन डिजिटल मुद्राओं के एक नए युग की शुरुआत करने वाले एक ऐतिहासिक फैसले में देश की सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में RBI द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए प्रतिबंध संबंधी आदेश को रद्द कर दिया है।

यह दिलचस्प इसलिए भी है क्यूंकि दुनिया भर में बहुत कम ही ऐसे देश हैं जहाँ की अदालतों ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वहां की सरकारों से अधिक प्रगतिशील दृष्टिकोण जाहिर किया हो।

जस्टिस रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने अप्रैल 2018 में जारी भारतीय रिज़र्व बैंक की अधिसूचना को खारिज कर दिया है, जिसमें इस प्रतिबंध को लागू किया गया था।

आपको बता दें यह निर्णय असल में भारत की शीर्ष इंटरनेट और मोबाइल कंपनियों के उद्योग समूह IAMAI द्वारा कोर्ट में RBI के 2018 के प्रतिबन्ध को दी गई चुनौती के संदर्भ में दिया गया है।

IAMAI ने फैसले को चुनौती देते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अपने अधिकारों से परे ऐसा प्रतिबंध लगाने पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया था। IAMAI का तर्क था कि क्रिप्टोकरेंसी शब्द के कानूनी अर्थ में “मुद्रा” शामिल नहीं है और इसलिए इसपर प्रतिबन्ध लगाने का हक़ RBI के पास नहीं है।

वहीँ हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बैंक ने इस बात को रेखांकित किया था कि उसने क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट का एक डिजिटल जरिया माना है, और इसलिए उसने देश की भुगतान प्रणाली को ख़तरे में पड़ने से बचाने के लिए यह कदम उठाया था।

दरसल भारत का केंद्रीय बैंक यानि RBI अक्सर डिजिटल करेंसी की खिलाफ़त करने संबंधी अपने आदेशों के लिए जाना जाता रहा है। उदाहरण के लिए, दिसंबर 2013 में RBI ने Bitcoins सहित सभी अन्य वर्चुअल मुद्राओं के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को यह चेतावनी दी कि वह इसके सभी संभावित वित्तीय, कानूनी और सुरक्षा से जुड़े जोखिमों के बारे में लोगों को स्पष्ट बताएं।

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और RBI ने इतना ही नहीं बल्कि एक कदम और आगे बढ़ते हुए 2018 में Bitcoins सहित सभी अन्य वर्चुअल मुद्राओं में लेनदेन पर देशव्यापी प्रतिबन्ध लगा दिया था। RBI का कहना था कि बैंक वर्चुअल मुद्राओं को लेकर किसी भी प्रकार से लेनदेन को मान्य नहीं मानेगा और न ही बैंक इसको लेकर किसी व्यक्ति या व्यापारी की कोई सुनवाई करता नज़र आएगा।

दरसल इसका असर यह पड़ा कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी आधारित कई स्टार्टअप भी बंद हो गए थे। यहाँ तक कि बहुत सारे ऐसे मामलों में गिरफ्तारियां और छापे भी पड़े, जिनकी व्यापक तौर पर आलोचना भी हुई।

खास तो यह है कि अब सुप्रीम कोर्ट के इस नए फैसले से भारत सरकार द्वारा भी पिछले साल से शुरू किया गया क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास भी विफल हो जाएगा।

भारत सरकार की अंतर-मंत्रालयी समिति (IMC) (जिसे वर्चुअल मुद्राओं से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया गया था) ने अपनी रिपोर्ट सरकार को एक मसौदा विधेयक के साथ प्रस्तुत की थी। आपको बता दें इस रिपोर्ट में समिति ने भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है।

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