संपादक, न्यूज़NORTH
भारत में एक ओर सरकार जहाँ इंटरनेट आधारित कंपनियों के लिए नए नियमों को जल्द से जल्द पेश करने की तैयारी में जुटी हुई है, वहीं अब देश में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगातार किये जा रहे ‘इंटरनेट शटडाउन’ के चलते देश को बड़ा आर्थिक नुकसान होने की भी खबर सामने आई है।
और इस खबर ने अब कंपनियों के लिए इंटरनेट नियमों के साथ ही साथ सरकारों के लिए भी ‘इंटरनेट शटडाउन’ जैसी चीज़ों को लागू करने हेतु कुछ निश्चित नियमों की मांग को हवा दे दी है।
दरसल Top10VPN द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था को साल 2019 में इंटरनेट शटडाउन के कारण करीब 9,440 करोड़ रूपये ($1.3 बिलियन) का भारी नुकसान हुआ है।
आपको बता दें इस रिपोर्ट के अनुसार भारत इस पैमाने पर वित्तीय घाटे के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में टॉप पर है, इसके पहले लिस्ट में सिर्फ़ ईरान और सूडान शामिल है, जिन्हें इंटरनेट शटडाउन के चलते क्रमशः $2.8 बिलियन और $1.8 बिलियन का नुकसान सहना पड़ा है।
वहीँ प्रभावित उपयोगकर्ताओं की संख्या के मामले में देश में पिछले साल 8.4 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के इन इंटरनेट शटडाउनों से प्रभावित होने की बात सामने आई है। ब्रिटेन आधारित Top10VPN में कार्यरत शोध के प्रमुख Simon Migliano के अनुसार, ये आंकड़े भी पूरी संख्या को स्पष्ट रूप से पेश नहीं करते हैं।
इन आँकडों में देश में हुए कुछ घंटों के इंटरनेट शटडाउन को नहीं जोड़ा गया है, जबकि भारत के छोटे शहरों में कुछ कुछ घंटो के लिए इंटरनेट शटडाउन अक्सर दर्ज किये जाते हैं।
यहाँ तक कि भारत की सर्वोच्च अदालत ने भी सरकार को अनिश्चितकाल के लिए किये गये इंटरनेट शटडाउन को लेकर लताड़ लगाई है, वह भी विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के सन्दर्भ में।
दरसल संवेदनशील जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में पिछले 4 महीने से अधिक समय से इंटरनेट ब्लैकआउट है, और अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सप्ताह भर में इसकी समीक्षा करके इंटरनेट सेवा को जल्द शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
दरसल यह इंटरनेट शटडाउन संबंधी ऊपर के आँकड़े सिर्फ़ भारत के अरुणाचल प्रदेश, असम, जम्मू और कश्मीर, मेघालय, राजस्थान, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में हुए इंटरनेट शटडाउन को ही शामिल करते हैं।
इनमें असम और जम्मू-कश्मीर को शामिल नहीं किया गया है, क्यूंकि कथित रूप से वहां नागरिकता संशोधन अधिनियम और धारा 370 के हटने के चलते हिंसा के आसार को देखते हुए ऐसा किया गया है।
इस बीच आपको याद दिला दें, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दशकों पुराने अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के दौरान भी इंटरनेट सेवाओं को दोनों राज्यों में कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था।
इसके बाद मुख्य रूप से नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के चलते केंद्र और राज्य सरकारों ने जगह जगह इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया और ऐसा काफ़ी दिनों तक चलता रहा और कुछ जगहों में अभी भी ऐसी खबरें आती रही हैं।