Petition in court to ban film reviews: सूर्या की फिल्म कंगुवा के नेगेटिव रिव्यू के कारण हुए नुकसान से व्यथित तमिल फिल्म एक्टिव प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (TFAPA) ने किसी भी फ़िल्म के रिलीज दिन से तीन दिनों तक फ़िल्म के रिव्यू (क्रिटिक्स रिव्यू) में रोक लगाने की मांग की है। इसके लिए बाकायदा TFAPA की ओर से मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। कोर्ट में याचिका के अलावा एसोसिएशन ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार से ऑनलाइन फिल्म रिव्यू के लिए दिशा-निर्देश बनाने का भी आग्रह किया। एसोसिएशन का कहना है कि बिग बजट वाली फिल्मों को नेगेटिव रिव्यू के कारण बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है।
खराब रिव्यू से फिल्म के कलेक्शन को नुकसान
TFAPA ने कहा है कि खराब रिव्यू यानि की क्रिटिक्स या सोशल मीडिया में लोगों के द्वारा फिल्म देखने के बाद कोई पोस्ट या किसी भी प्रकार का वीडियो फिल्म के संबंध में डाले जानें से फिल्म निर्माताओं के वित्तीय नुकसान कम होगा और फिल्म की कमाई भी सही होगी। TFAPA का मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग हो रहा है जो फिल्म समीक्षाओं की आड़ में निर्देशकों और निर्माताओं के खिलाफ ‘व्यक्तिगत नफरत’ को बढ़ावा देता है।
याचिका में क्या मांग TFAPA ने रखी?
दक्षिण भारत की कंगुवा’ और ‘इंडियन 2’ जैसी बहुप्रतीक्षित फिल्में दर्शकों का दिल नहीं जीत पाईं और टिकट खिड़की पर संघर्ष करती देखी गईं, वही हिंदी पट्टी (बॉलीवुड फिल्मों) की इक्का- दुक्का फ़िल्मों को छोड़ दे तो ऐसा ही कुछ हाल बॉलीवुड फिल्मों का भी हैं। जिसके लिए कही न कही कुछ प्रोडक्शन हाउस और निर्माता इसके लिए फ़िल्म के रिव्यू को मानने लगें है। यानि धीरे धीरे फ़िल्म निर्माता सोशल मीडिया में होने वाले फ़िल्म रिव्यू और फिल्मी पत्रकारों के रिव्यू को अपनी फिल्मों की कमाई में नुकसान के तौर में देखने लगें है।
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इसके पहले भी 20 नवंबर को, टीएनपीसी ने एक बयान जारी कर थिएटर के मालिकों से फिल्म स्क्रीनिंग के बाद थिएटरके अंदर वीडियो रिव्यू और पब्लिक रिव्यू रिकॉर्ड करने वाले यूट्यूब चैनलों पर बैन लगाने को कहा (Petition in court to ban film reviews) था।