No artificial rain in Delhi despite air pollution: दिल्ली में हवा का स्तर कई इलाकों में बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है, ठंड बढ़ने के साथ साथ यह और भी चिंताजनक स्थिति में जाते जायेगा। इस बीच कुछ लोग राजधानी दिल्ली में कृत्रिम बारिश करवाने की वकालत कर रहें थे, जिससे राजधानी के वाशिंदों को प्रदूषण से कुछ राहत मिल सके। लेकिन अब तक जो कृत्रिम बारिश का शिगूफा छोड़ा जा रहा था कि खराब वायु के लिए वह एक कारगर उपाय है, उसे लेकर IIT कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल एक बड़ा खुलासा कर दिया है।
जी हां! बकौल प्रो. मणींद्र अग्रवाल के अनुसार, कृत्रिम बारिश बिना बादलों के संभव नहीं है। यह तकनीक तभी सफल होती है, जब आसमान पर बादल छाए हों, इसीलिए यह वायु प्रदूषण रोकने का स्थायी समाधान नहीं है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में सर्दी के साथ बढ़ रहे वायु प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने आईआईटी से कृत्रिम बारिश कराने के लिए संपर्क किया था। उन्हें सूचित किया गया है कि इसके लिए बादलों का होना आवश्यक है। बादलों के बिना कृत्रिम बारिश नहीं हो सकती है।
कृत्रिम बारिश का दायरा सीमित
कृत्रिम बारिश के माध्यम से वायु गुणवत्ता को सुधारने का दावा कर रहें लोगों के लिए प्रो. मणींद्र अग्रवाल के द्वारा दी जानकारी के बाद अब आंखे खुल गई होगी कि कृत्रिम बारिश वायु प्रदूषण का कोई स्थायी समाधान नहीं है। इसके साथ उन्होंने बताया कि कृत्रिम बारिश एक सीमित क्षेत्र में कराई जा सकती है। वायु प्रदूषण से घिरे बड़े क्षेत्र को इसके जरिये लाभ पहुंचाना मुश्किल है।
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राजधानी में प्रदूषण से राहत मिलने की संभावना कम
ठंड के बढ़ते ही दिल्ली को कोहरे और धुंध ने अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। सवेरे और रात के टाइम दिल्ली के कई इलाकों में सफेद धुंध की चादर बन जाती है। शुक्रवार को भी राजधानी में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। हवाओं की गति कम होने और तापमान में कमी होने के कारण प्रदूषण के स्तर में सुधार की उम्मीद कम है। दिल्ली में 22 इलाकों का सूचकांक खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। राजधानी में अगले कुछ दिनों तक प्रदूषण से राहत मिलने की (No artificial rain in Delhi despite air pollution) संभावना कम है।